आंखों में आंसू
दिल में आहें
कांपती है रूह
सर्द हैं निगाहें
किसको जा के दर्द सुनाएं
रुष्ट हुई सब अभिव्यन्जनाएं
रिश्तों के उपवन
सूखते जाएँ
फूल प्यार के
खिलने न पायें
कैसे जीवन को महकाएं
धूमिल हुई सब अभिलाषाएं
मन की व्यथाएं
बढती ही जाएँ
पत्थर दिल लोग
पिघल न पायें
किसको अपना मीत बनाएं
शून्य हुई सब संवेदनाएं
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
5 Comments:
शून्य हुई सब संवेदनाएं
दिल को choone wali कविता.............
Bahut hi sundar bhavpoorn rachna...
kya khoob likha hai.....bahut badhiya
अद्भुत रचना...लिखते रहें...
नीरज
bahut achchha laga - bhawpurn rachana
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