जीवन पथ पर चलते चलते
पग तुम्हारे थक जायेंगे
जर्जर हो जायेगी काया
सहारे सभी व्यर्थ हो जायेंगे
धन सम्पति रिश्ते नाते
सब यहीं धरे रह जायेंगे
पद प्रतिष्ठा मान मर्यादा
कुछ भी काम न आयेंगे
जीवन फिसल चला हाथों से
जाल सिमट नही पायेंगे
चुकता जाता साँस खजाना
पल छीन फ़िर लौट न आयेंगे
ले नाम सहारा इश्वर का प्यारे
ये ही तो भव से पार लगायेंगे
जीवन पथ पर चलते चलते
पग तुम्हारे थक जायेंगे

जीवन पथ पर चलते चलते
पग तुम्हारे थक जायेंगे

3 Comments:

Science Bloggers Association said...

सच कहा आपने।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

दिगम्बर नासवा said...

जीवन का यही नियम है......... ant समय सब छूट जाते हैं .... अकेला ही चलना होता है

रंजना said...

bahut sahi kaha aapne...