नभ्त्वाकर्षण-नभ का भी अपना एक आकर्षण है


जो थामे रहता है सूरज, चाँद सितारों को


गुरुत्वाकर्षण- धरा का भी अपना एक आकर्षण है


जो थामे रहता है धरा के समस्त प्राणों को


सागर भी अपने आगोश में ले लेता है,


भटकने नही देता चंचल नदियों को


कांटे भी तो बन जाते हैं निगहबान


घायल नही होने देते मासूम कलिओं को


पर्वत भी आलिंगन करते पुर्वाईयों और घटाओं को


वो भी हर्षित हो बरसा देती अमृत की धाराओं को


वन उपवन भी यहाँ देते, हैं सहारा निराश्रित बेजुबानों को

पनाह, पोषण, आश्रय देते पशुओं

और परिंदों को

नही छीने अधिकार किसी का, प्रकृति का ये प्यार अनोखा,

जीने का देती है अवसर हर एक को

बस इन्सां ही इन्सां का बैरी बन तोड़ रहा मासूम दिलों को

प्रकृति से कुछ सबक न लेता, जला रहा आशियानों को

2 Comments:

admin said...

काश, हममें इतनी गैरत तो बची होती।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया पोस्ट.धन्यवाद

पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प ले.