घायल हुआ चाँद रात
चाँदनी पीली ज़र्द हुई
ओह!ये कैसी हवा चली
बगिया सारी उजड़ गई
पलभर में ये कैसा भंवर उठा
ख्वाबों की दुनिया बिखर गई
गाने को थी गीत प्यार का
वीणा की तारें टूट गई
देखती रही राह सजन की
आए ना वो, हाय!
ये कैसी अभागी रात हुई
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
2 Comments:
बहुत सहज वर्णन विरह की रात का......
bahut bhavpoorn kavita.
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