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तुमने सूली पे लटके जिसे देखा होगा,
वक़्त आएगा वही शख्श मसीहा होगा.
ख्वाब देखा या कि सेहरा में बसना होगा,
क्या खबर थी यही ख्वाब तो साया होगा.
मै फिजाओं में बिखर जाउंगी खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा.
"मेरी पत्रिका" के अंजुमन में आप का स्वागत है...
5 Comments:
kam shabdo me bahut sari baate....
खूबसूरत भावमय रचना शुभकामनायें
मै फिजाओं में बिखर जाउंगी खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा.
वाह.......बहूत खूबसूरत शेर कह रहे हैं आप आजकल........... गहराई में जा कर लिखते हैं रवि जी आप..शुक्रिया
सुन्दर रचना है।बधाई।
बहुत ही खूबसूरत शब्द पिरोये है आपने....अच्छी रचना...
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