आत्मविश्वास, विश्वास और तेज विश्वास क्या हैं? इन्हें जानने से पहले मन के बारे में कुछ आम बातें और एक खास बात जानें। आम बात यह है कि “हर इंसान के अंदर मन है और हर अविश्वासी (गुलाम) इस मन से परेशान है तथा हर विश्वासी इस मन का मालिक है।” मन कैसा है? मन एक आम जैसा है, जिस तरह कुछ आमों में कुछ हिस्सा सड़ा हुआ होता है, उसी तरह मन का भी कुछ हिस्सा सड़ा हुआ होता है। उसे ‘तोलू मन’ (कॉन्ट्रास्ट मन) कहा जाता है। यही तोलू मन इंसान के अंदर परेशानी का कारण है। आम बात यह है कि जब आम पक जाता है तब वह पेड़ से गिर जाता है। लेकिन यह मन कभी पकता (गिरता) नहीं। इस बिना पके मन को गिराने के लिए बहुत सारी विधियां हैं। जप-तप, तंत्र-मंत्र, कर्म-धर्म, भक्ति, ज्ञान-ध्यान इत्यादि।

इन सब विधियों का प्रचलन इसी तोलू मन को गिराने के लिए किया गया है। यह विधियां मन में तेज विश्वास, तेज प्रेम, तेज स्वीकार भाव जगाने के लिए बनाई गई हैं। लेकिन आज उन विधियों का उपयोग सिर्फ कर्मकाण्ड के रूप में किया जा रहा है। आम का कुछ भाग सड़ जाए तो लोग उसे काटकर फेंक देते हैं। किंतु मन के सड़े हिस्से यानी ‘तोलू मन’ को हम काटकर फेंक नहीं सकते। इस मन में आत्मविश्वास की दवा डालकर इसे स्वस्थ करना पड़ता हैं।

सभी जानते हैं कि किसी नकारात्मक घटना के बाद मन में विचार आने शुरू हो जाते हैं तो रुकने का नाम ही नहीं लेते हैं। जब तक हमें विचारों को रोकने का प्रशिक्षण नहीं मिलता, जब तक समझ, श्रवण, भक्ति की प्यास नहीं जगती, जब तक हमें यह पता नहीं चलता कि हर कर्म सेवा है, तब तक विचार रुकते ही नहीं और मन हमें बहुत परेशान करता रहता है। जब तक मन में विश्वास नहीं जगता तब तक हमें कामयाबी नहीं मिलती। विश्वास की शक्ति पाकर मन कर्मवीर बन जाता है। मन विश्वास में नहाकर दोष मुक्त हो जाता है। विश्वास मन के लिए गंगा नदी का काम करता है, जिससे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। पवित्र मन, प्रेम और विश्वास से इंसान सम्पूर्ण जग जीत सकता है।

विशवास का विकास समय, ज्ञान और प्रयोगों द्वारा होता है। जिस बात पर आप विश्वास नहीं रखते थे, उसी बात पर कुछ समय और समझ मिलने के बाद आप यकीन करने लगते हैं। विश्वास का विकास उच्चतम अवस्था तक होना चाहिए तभी हम विश्वास की चमत्कारिक ताकत जान पाएंगे। आत्मविश्वास रखने वाले इंसान जल्दी विकास करते हैं। विकास के साथ विश्वास का भी विकास होता है और इस तरह विश्वास बढ़ने से आपका विकास और ज्यादा बढ़ जाता है।

विश्वास से विकास और विकास से विश्वास का विकास होता है। यह हुई खास बात की शुरुआत। अब जानें खास बात। अंतर्ज्ञान व विश्वास: इंसान अपने जीवन में सम्पूर्ण संतुष्टि तब महसूस करता है, जब उसके अंदर छिपे हुए दो गुण प्रकट होते हैं। जब तक यह गुण प्रकट नहीं होते तब तक इंसान अपने अंदर खालीपन और कमी महसूस करता है। जिस तरह कोई फिल्म जब तक रिलीज नहीं होती तब तक उस फिल्म के कलाकार और निर्देशक संतुष्टि महसूस नहीं करते, उसी तरह हमारे अंदर छिपे यह दो गुण जब तक पूरी तरह से प्रकट नहीं होते तब तक हम अपने आपको अधूरा महसूस करते हैं।

ये दो गुण कौन से हैं?
ये दो गुण हैं - विश्वास और प्रेम।विश्वास अगर प्रकट न हो तो हमारे जीवन में कोई खुशी नहीं आती। प्रेम अगर प्रकट न हो तो हमारे हृदय में कोई सुखद भावना नहीं रहती। विश्वास से प्रेम जगाया जा सकता है, प्रेम से विश्वास पाया जा सकता है। दोनों एक-दूसरे की मदद करते हैं। ईश्वर पर विश्वास, भक्ति को जगाने का काम आता है। ईश्वर की भक्ति अटूट विश्वास पैदा करने में आपकी मदद करती है। विश्व में बहुत से चमत्कार होते देखे गए हैं। लोग विशेष स्थानों पर जाकर बीमारियों से मुक्ति प्राप्त करके लौटते हैं।

वह स्थान कोई पहाड़ हो, मंदिर हो, चर्च हो, दरगाह हो, गुरुद्वारा हो या जंगल हो लेकिन विश्वास प्रकट करने में वह स्थान मदद करता है। विश्वास के कारण ही इन स्थानों पर लोगों की मन्नतें पूरी होती हैं। विश्वास विश्व की सबसे शक्तिशाली तरंग है। इस तरंग में तरंगित होकर इंसान का शरीर खुल-खिल जाता है। इस तरंग में भय और चिंता की नकारात्मक तरंगें नष्ट हो जाती हैं। जीसस ने अपने जीवन काल में जितने भी चमत्कार किए, उसके पीछे विश्वास की शक्ति काम कर रही थी। जीसस ने लाइलाज लोगों से यही कहा कि “यदि तुम ठीक होने का विश्वास रखते हो तो यह विश्वास तुम्हें ठीक कर देगा।

विश्वास में यदि इतनी शक्ति है कि हम रोग मुक्त हो सकते हैं, जो चाहें वह पा सकते हैं तो हमें यह शक्ति प्रकट करने की कला सीखनी होगी। इस शक्ति से आप दुनिया की सभी चीजें, सफलताएं प्राप्त करेंगे ही, साथ में तेज प्रेम प्रकट करके अपना बंद हृदय ईश्वर के लिए खोल पाएंगे। ऐसे में आपको किसी और चीज की आवश्यकता नहीं होगी। आपका जीवन आनंद की अभिव्यक्ति में बहकर महाजीवन बनेगा।

विश्वास की यह शक्ति अप्रकट रखकर आप बहुत सीमित व दुःखी जीवन जीते हैं। बिना विश्वास के जीवन अनुमानों व शंकाओं से भरा रहता है। नकारात्मक शंकाओं से विश्वास टूटने लगता है और उस विश्वास का स्थान डर ले लेता है। डरा हुआ इंसान सिकुड़कर जीता है। आत्मविश्वास से भरा हुआ इंसान खुलकर जीता है और खुलकर जवाब देता है। अविश्वासी इंसान हमेशा देने से घबराता है और अभाव की स्थिति में जीता है। वह नफरत और द्वेष का तुरंत शिकार हो जाता है। इसलिए अपने आप में विश्वास की शक्ति जगाएं और सफलता की पहली नींव डालें।

जोश१८ से साभार

2 Comments:

RAJNISH PARIHAR said...

मन बहुत चंचल होता है..,फिर भी इसे काबू करके काफी कुछ किया जा सकता है...

दिगम्बर नासवा said...

रवि जी...........बहुत ही आध्यात्मिक पोस्ट है आज आपकी............. विचारणीय है..........सब कुछ मन पर ही तो निर्भर है