मेरे करीब आओ बहुत उदास हूँ मैं,
बस आज टूट के छाओ बहुत उदास हूँ मैं।
किसी भी झूठे दिलासे से दिल को बहलाओ,
कोई कहानी नई सुनाओ बहुत उदास हूँ मैं।
अँधेरी रात है कुछ नज़र नही आ रहा,
सितारे तोड़कर लाओ बहुत उदास हूँ मैं।
सुना है प्रेम नगर में खुशी भी मिलती है,
मुझे यकीन दिलाओ बहुत उदास हूँ मैं।
यह शाम यूँ ही गुज़र जायेगी दबे पाँव,
वफ़ा के गीत गाओ बहुत उदास हूँ मैं।
बस आज टूट के छाओ बहुत उदास हूँ मैं।
किसी भी झूठे दिलासे से दिल को बहलाओ,
कोई कहानी नई सुनाओ बहुत उदास हूँ मैं।
अँधेरी रात है कुछ नज़र नही आ रहा,
सितारे तोड़कर लाओ बहुत उदास हूँ मैं।
सुना है प्रेम नगर में खुशी भी मिलती है,
मुझे यकीन दिलाओ बहुत उदास हूँ मैं।
यह शाम यूँ ही गुज़र जायेगी दबे पाँव,
वफ़ा के गीत गाओ बहुत उदास हूँ मैं।
2 Comments:
दिल की बात उदासी के बहाने छलक ही आई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ek purana gana yaad aa gaya
mujhe gale se laga lo bahut udas hun main
achchi rachna
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