दो दिन का है ये प्राण पंछी
कर ले तुझको जो भी है करना
कल हम सबको यहाँ से है जाना
दुखों के पहाड़ खड़े है राह में
जूझते रहना सफलता आएगी हाथ में
इस कठिन राह पर तुझको है चलना
कोई न जान सकेगा तेरे दिल के दर्द को
फैला देना तेरी खुशबू और हर्ष को
गम पी के तुझे सब कुछ है सहना
जाने न जाने ये दुनिया तुझे
तू तो एक हस्ती है तेरे मन् की
खुदको ही हंसकर इस हस्ती को है निखारना
ये है जीवन का सच
जो मैंने तुझसे मिलकर है जाना
कर ले तुझको जो भी है करना
कल हम सबको यहाँ से है जाना
दुखों के पहाड़ खड़े है राह में
जूझते रहना सफलता आएगी हाथ में
इस कठिन राह पर तुझको है चलना
कोई न जान सकेगा तेरे दिल के दर्द को
फैला देना तेरी खुशबू और हर्ष को
गम पी के तुझे सब कुछ है सहना
जाने न जाने ये दुनिया तुझे
तू तो एक हस्ती है तेरे मन् की
खुदको ही हंसकर इस हस्ती को है निखारना
ये है जीवन का सच
जो मैंने तुझसे मिलकर है जाना
7 Comments:
जहाँ चाह् वहा राह है
यह भी जीवन का सच है
sahee hai yah bhi jiwan ka sach hai .......bahut sundar
सच कहा जो भी करना है जल्दी कर लेना चाहिए........... कल किसने देखा है
Bilkul sahi....Bhavpoorn abhivyakti.
जीवन का फलसफा कहती आपकी कविता अच्छी ही नहीं बहुत अच्छी है. मुझे तो इस पोस्ट में दो-दो कविता नज़र आ रही है. एक शब्दों में कही गई है दूसरी खूबसूरत चित्र के माध्यम से.
आभार आप के इस स्नेह के लिए ....
very nice....
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