कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है.
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.
मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है.
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है.
मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है.
कभी कबीरा दिवाना था, कभी मीरा दीवानी है.
यह सब लोग कहते हैं, मेरी आँखों में आँसू हैं.
जो तू समझे तो मोती हैं, जो न समझे तो पानी हैं.
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता.
ये आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता।
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.
मै तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है.
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है.
मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है.
कभी कबीरा दिवाना था, कभी मीरा दीवानी है.
यह सब लोग कहते हैं, मेरी आँखों में आँसू हैं.
जो तू समझे तो मोती हैं, जो न समझे तो पानी हैं.
समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नहीं सकता.
ये आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नहीं सकता।
मेरी चाहत को अपना तू बना लेना मगर सुन ले.
जो मेरा हो नहीं पाया, वो तेरा हो नहीं सकता.
मै उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करता है।
भरी महफिल में भी रुशवा मुझे हर बार करता है।
यकीं है सारी दुनिया को खफा है हमसे वो लेकिन,
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है।
साभार - डॉ. कुमार विश्वास
5 Comments:
रवि जी ,
यह कविता डॉ. कुमार विश्वास जी की. कृपया करके उनका नाम तो लिखना ही चाहिए था .
इसमें कोई शक नहीं की यह कविता जबरदस्त है .
इसके लिए खेद है, शौरभ जी, मुझे यह कविता अच्छी लगी लेकिन रचनाकार का नाम नहीं मालूम होने की वजह से मै उनका नाम नहीं दे सका. आपने उनका नाम बताया, इसके लिए धन्यवाद, अब अगर आप 'मेरी पत्रिका' खोलेंगे तो उनका नाम ज़रूर पायेंगे.
कविता का भाव प्यारा,
मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है.
कभी कबीरा दिवाना था, कभी मीरा दीवानी है.
यह एहसास दिल को छु गया है
यू ट्यूब पर इसे डॉ कुमार की आवाज में सुनो भी. जादू है उनकी आवाज में.
अगर रचनाकार का नाम मालूम न हो और रचना आपकी न हो तो यह लिख देना कि रचनाकार का नाम मालूम नहीं, अच्छा माना जाता है. एक सलाह मात्र.
आपने सौरभ जी की बात को ध्यान में रख रचनाकार का नाम लिख बहुत साधुवाद का कार्य किया है, बधाई.
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