दोस्त वही है जो आपको आपना मान सके,
आपके हर गम को बिन कहे जान सके।
आप चल रहे हो तेज़ बारिश में फिर भी,
पानी में आपके आंसू पहचान सके।
ये आईने से अकेले में गुफ्तगू क्या है
जो मैं नहीं तो फिर ये तेरे रूबरू क्या है
इसी उम्मीद पे काटी है ज़िन्दगी मैने
काश वो पूछते मुझसे कि आरजू क्या है।
वक्त गुज़रता रहा पर सांसें थमी सी थी,
मुस्कुरा रहे थे हम, पर आँखों में नमी सी थी,
साथ हमारे ये जहाँ था सारा,
पर न जाने क्यूँ कुछ कमी सी थी....
आंखों की जुबाँ वो समझ नही पाते,
होठ मगर कुछ कह नही पाते।
अपनी बेबसी किस तरह कहे...
कोई है जिसके बिना हम रह नही पाते।
2 Comments:
बेहद खुबसूरत लिखा है आपने साभार
.सुंदर .....
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