तुम्हे जफा से यूँ न बाज़ आना चाहिए था
अभी कुछ और मेरा दिल दुखाना चाहिए था
तवील रात के पहलू में कब से सोये है
नवीद-ऐ-सुबह तुझे जग जाना चाहिए था।
बुझे चिरागों में कितने है जो जले ही नही
सवाद-ऐ-वक्त इन्हे जगमगाना चाहिए था
अजब न था के क़फ़स साथ ले के उड़ जाते
तड़पना चाहिए था फदफदाना चाहिए था।
यह मेरी हार के कार्य-ऐ-जान से हारा मगर
बिछड़ने वाले तुझे याद आना चाहिए था
तमाम उम्र की आसूदगी-ऐ-विसाल के बाद
आखरी धोखा था खाना चाहिए था।
1 Comments:
wo kehtay hai hum unhay yaad nahi kartay ...
lekin baat ye hai ke hum unhay bhool hi nahi patay....
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