जम्मू कश्मीर में aaj चार ज़िलों की विधानसभा ki 10 सीटों के लिए मतदान हो रहा है. ये ज़िले हैं पुँछ, बांदीपुरा, करगिल और लेह. इन जगहों पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं और सिर्फ़ पुँछ में ही अर्धसैनिक बलों की 80 कंपनियाँ तैनात की गई हैं.
भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस और कुछ अन्य नेता विधानसभा चुनावों का बहिष्कार कर रहे हैं. हालाँकि, हुर्रियत ने वर्ष 2002 के चुनावों का भी बहिष्कार किया था लेकिन इस बार संगठन ने जगह-जगह पर रैलियाँ आयोजित कर अपने इस कदम के बारे में लोगों को बताने और उन्हें अपनी बात पर राज़ी करने का प्रयास किया है. उनका मानना है कि बिना कश्मीर समस्या के हल के क्षेत्र में शांति बहाल नहीं हो सकती और चुनाव केवल ध्यान बाँटने का षड्यंत्र हैं.
कट्टरपंथी माने जाते सईद अली शाह गीलानी भी चुनावों का विरोध कर रहे हैं और चुनावों को बेमानी मानते हैं। वे त्रिपक्षीय वार्ता हो और भारत और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह के हक़ में हैं.

अलगाववादियों और चरमपंथियों के बारे में नेशनल कॉन्फ़्रेंस ने कहा है कि 'यदि वे चाहें तो चुनावों का बहिष्कार कर सकते हैं लेकिन उन्हें ज़ोर-ज़बर्दस्ती से किसी को रोकने का हक़ नहीं है.'

पर्यवेक्षकों का कहना है की बांदीपुरा और सोनावाड़ी विधानसभा क्षेत्रों में लोग मतदान के लिए घरों से निकल रहे हैं और ख़राब मौसम के बावजूद मतदान की गति अच्छी है. अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार की अपील का कश्मीर घाटी में असर नज़र नहीं आ रहा है जो इस बात को साबित करता है की जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा तो है ही, कश्मीर की जनता भी भारतीय लोकतंत्र में बिस्वास रखती है और वो भारत के साथ है।

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