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वफ़ा के वादे वो सारे भुला गई चुप चाप।
वो मेरे दिल की दीवारें हिला गई चुप चाप।
गम-ऐ-हयात के तपते हुए बियाबान में,
वो तनहा छोड़ के मुझको चली गई चुप चाप।
मैं जिसको छूता हूँ वो ज़ख्म देते हैं,
वो फूल ऐसे चमन में खिला गई चुप चाप।
मत रोना इतना के हँसना मुश्किल हो जाए,
मत हँसो इतना के रोना मुश्किल हो जाए।
किसीको चाहना अच्छी बात है,
मगर मत चाहना इतना के,
उसे भुलाना मुश्किल हो जाए।
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