जो भूलना होता इतना आसान तो कबके हम तुझे भूल जाते,
न करते तुझसे फरियाद मिलने की, न तुझे कभी याद आते।
मिटा दिया हमने अपना सारा वजूद, तेरा प्यार पाने में,
काश के तुम भी मेरे प्यार की गहराई को कभी समझ पाते।

किया था तुमने वादा हमसे दोस्ती का ए दोस्त,
तो उस दोस्ती का कुछ रश्म- अदायगी तो तुम कर जाते।
मिटाने चलें हैं आज अपनी हस्ती इस अफ़सोस के साथ,
ज़िन्दगी कि राह में कहीं तो अपना एक मुकाम बनाते।
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ख़ुशी इतनी हो कि तुम दिखा सको,
गम बस इतना हो जिसे तुम छिपा सको,
जिंदगी में कम से कम एक दोस्त ऐसा रखना,
जिसके साथ ऑफ़ मूड में भी मुस्कुरा सको।

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