बिछड़ के मुझ से तुम भी जी न पाओगे,
सच कहता हूँ मेरे बिन बहुत पछताओगे।
बर्दाश्त का पैमाना है मेरा भी बहोत वैसे,
बोलो कितना रुलाओगे, बोलो कितना सताओगे।


यादें मेरी सताएंगी, बातें मेरी रुलायेंगी,
मेरी निगाहों से तुम ख़ुद को कहाँ तक छुपाओगे।
साया भी हुआ करता है क्या कभी इंसान से जुदा,
तुम जहाँ भी जाओगे, साथ मुझको पाओगे।


कर देगा मेरा खलूस ये हालत तुम्हारी,
राज़-ऐ-दिल जुबां तक लाओगे, पर कह न पाओगे।
करता हूँ इंतज़ार उस लम्हें का मैं,
जब मुझे अपना कह कर पास बुलाओगे।

0 Comments: