वो सितारा जो आसमान में है
मेरी पलकों के दरमियाँ में है
किस तरह हुए दिल के टुकड़े
तीर तो अब तक गुमान में है।
कोई सूरत नही बहलाने की
हर घड़ी वो जो मेरे धयान में है
वो कहाँ किस्सा-ऐ-मोहब्बत में है
जो मज़ा अपनी दास्ताँ में है।
इसने जब से नसीब-ऐ-दिल बदला
ज़िन्दगी अपनी इम्तेहान में है
दिल में यूँ तो कोई नही
एक साया पर मकाम में है।

1 Comments:

Palak.p said...

वो कहाँ किस्सा-ऐ-मोहब्बत में है
जो मज़ा अपनी दास्ताँ में है।
.. bahut sunder line hai ye.. keep posting....