करता हूँ जब दीदार तेरा, मन हर्षित हो जाता है
रहमत बरसे बनकर बादल, मन मयूर हो जाता है
तेरे इक इशारे से मुकद्दर बदल जाता है
पतझड़ के मौसम में भी बसंत छा जाता है
जो भी माँगा दिया तुने इक निगाहें कर्म से
होता नही जो भाग्य में इंसा वो पा जाता है
अंधेरे में भटका आनंद करता जब फरियाद है
अमावस में भी पूनम का चाँद निकल आता है.
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
1 Comments:
achha laga............
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