दोस्ती मेरी बस उस ग़म से है,
मिला जो मुझे सनम से है।
तुझसे गिला नहीं है मुझको,
शिकवा इस मौसम से है।
हमसे क्यों छुपाती चेहरा,
तेरा हुस्न भी तो हम से है।
मुझसे और दूर न जा तू,
मेरी साँस तेरे दम से है।
मुझे और कुछ चाह नहीं,
बस तू मेरी कसम से है।
"मेरी पत्रिका" के अंजुमन में आप का स्वागत है...
4 Comments:
प्रेमरस मे डूबी सुन्दर रचना आभार्
pyaar ki dhara me to ham bhi bah gaye .....sundar rachana
आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं। आशा है आप इसी तरह सदैव स्नेह बनाएं रखेगें… धन्यवाद
बहुत उम्दा प्रेम गीत!
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