दोस्ती मेरी बस उस ग़म से है,
मिला जो मुझे सनम से है।
तुझसे गिला नहीं है मुझको,
शिकवा इस मौसम से है।
हमसे क्यों छुपाती चेहरा,
तेरा हुस्न भी तो हम से है।
मुझसे और दूर न जा तू,
मेरी साँस तेरे दम से है।
मुझे और कुछ चाह नहीं,
बस तू मेरी कसम से है।

4 Comments:

निर्मला कपिला said...

प्रेमरस मे डूबी सुन्दर रचना आभार्

ओम आर्य said...

pyaar ki dhara me to ham bhi bah gaye .....sundar rachana

Dr. Ravi Srivastava said...

आप के द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं मेरा मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन करती हैं। आशा है आप इसी तरह सदैव स्नेह बनाएं रखेगें… धन्यवाद

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा प्रेम गीत!