जब रात के तनहा लम्हों में
कोई आहट मुझसे कहती हैं
इस दिल में हलचल रहती हैं
कोई जुगनू पास से गुज़रे तो
कोई बात हलक से निकले तो
मैं खुद से उलझने लगता हूँ।
फिर जाने क्या क्या कहता हूँ
फिर याद उसकी आती हैं
फिर पल दो पल की लम्हे को
यह साँस मेरी रुक जाती हैं
एक शोला दिल में भड़कता हैं
वो दर्द सेहर तक रहता हैं
फिर वहम मुझे यह कहता हैं।
कोई मेरे दिल में रहता हैं
कोई मेरे दिल में रहता हैं।
साभार- अनजान
2 Comments:
WAAH .....WAAH......WAAH......WAAH
lajawaab ravi जी....hameshaa की तरह....... दिल को gudgudaane waali..........
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