तुमसे है अनुबंध
छंद अब,
तुम पर ही लिखूंगा;
महफ़िल है बेरंग
कुछ बातें
तुमसे ही कह लूँगा ।
तुम भावों की
चंचल सरिता
मैं शब्दों का सागर,
लिख दें गीत
प्रेम के प्रिय तुम
मिल जाओ बस आकर ।
फूलों सा मकरंद
गीत मैं,
अधरों से पा लूँगा ।
तुम आशा की
भोर शबनामी
मैं राही भटका सा,
तुमसे मिलकर
राह मिल गयी
आया चैन ज़रा सा ।
मयखानों से तंग
छोडो अब,
आँखो से पी लूँगा ।
सूना घर
सूने गलियारे
सूना अग-जग सारा है,
याद तुम्हारी
जीवन भर दे
तुमने मुझे संवारा है ।
कर आंखों को बंद
प्रर्तिपल
नाम तुम्हारा लूँगा ।
[] राकेश 'सोऽहं'
पेट में कीड़े होने के हैं यह लक्षण, जान लीजिये
-
यह समस्या खासकर छोटे बच्चों में होती है। कई बार व्यस्कों को भी इसकी शिकायत
रहती है। हम आज की इस पोस्ट में जानेंगे कि पेट में कीड़े होने के क्या क्या
लक्षण...
6 years ago
2 Comments:
वाह भाई राकेश जी, क्या बात है....शब्दों की सजावट तो देखते ही जान पड़ती है. प्रभावशाली लेखन है... वाह…!!! वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है। बहुत सुन्दरता पूर्ण ढंग से भावनाओं का सजीव चित्रण... आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे,
'मेरी पत्रिका ' में रूचि लेने के लिए धन्यवाद. आपकी पहली पोस्ट पर बधाई स्वीकारें।
आप का मित्र
रवि श्रीवास्तव
द्वारा - 'मेरी पत्रिका'
raakesh जी...........
sundar anubandh लिखा है आपने...........नाम tumhaara loonga ........... lajawaab
Post a Comment