एक दिन मुस्कराहट ने पुछा मुझसे,
हमने रोज़ रोज़ क्यूँ बुलाते हो,
मैंने कहा में याद तो अपने दोस्त को करता हूँ,
तुम तो साथ में ख़ुद ही चले आते हो.
दुआ करते है हम सर जुकाए..
ए दोस्त तू अपनी मंजिल को पाये..
अगर कभी तेरी रहो में अँधेरा आए...
रौशनी के लिए खुदा हम को जलाये...
क़र्ज़ जिंदगी में चुकाना नही होता,
एहसान जिंदगी में जाताना नही होता,
बस सलामत रहे अपनी ये दोस्ती,
क्योंकि ये वो रिश्ता है जो कभी पुराना नही होता।
सातो आसमानों की सैर हम कर आए,
हर एक तारे से दोस्ती कर आए,
एक तारा खास था जिसे हम साथ ले आए,
वरना आप ही सोचिये, आप इस जमीं पे कैसे आए!
3 Comments:
दुआ करते है हम सर जुकाए..
ए दोस्त तू अपनी मंजिल को पाये..
ye bahut pyari lines hai ravi....
बढिया लिखा है_
दुआ करते है हम सर जुकाए..
ए दोस्त तू अपनी मंजिल को पाये..
अगर कभी तेरी रहो में अँधेरा आए...
रौशनी के लिए खुदा हम को जलाये...
good very good. keept it up.
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