चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

क्या सोचा था
और क्या हो गया
जिसे चाहा था
वोहि अंजान हो गया
मन्ज़िले तो मिली बहुत सी
पर उनका निशा खो गया.

लौट आओ जाने वाले
मुझे तेरी ज़रूरत है
ज़िन्दगी है बहुत कम
मेरी खुशियाँ अभी अधुरी है।

1 Comments:

Palak.p said...

लौट आओ जाने वाले
मुझे तेरी ज़रूरत है
ज़िन्दगी है बहुत कम
मेरी खुशियाँ अभी अधुरी है।

these lines r really superb.. keep posting