बहुत ही याद आता है मेरे दिलको तडपता है,
वो तेरा पास न होना बहुत मुझको रुलाता है,
वो मेरा तेरी आंखों के समुन्दर में उतर जाना,
और तेरी मुस्कराहट के भंवर में डूबते जाना,
तेरी आवाज़ के शहर से न निकल पाना,
तुझको देखना और बे-खुदी से देखते जाना,
बहुत चाहा इन गुज़रे हुए लम्हों को न सोचूं,
न तेरी याद में रहके तेरे साथ का सोचूं,
भुला दूँ सारी यादों को जिनसे दिल तड़पता है,
कि जिनसे ठेस उठती है के जिनसे दर्द होता है,
मगर जब रात आती है तो तेरी याद आती है,
तेरे ही ख्वाब होते है तेरी ही बात होती है,
तो तय पाया अब मुमकिन नही तुझको भुला देना,
तेरी याद में रहना तुझे ही सोचते रहना,
तुझे जब याद करते है तो दिल अपना तड़पता है,
वो तेरा पास न होना बहुत महसूस होता है।

1 Comments:

मोहन वशिष्‍ठ said...

रवि जी आपकी कविता में एक झलक दिखाई दे रही है बहुत अच्‍छा लिखते हो आप इसे जारी रखें बहुत बहुत बधाई