लालू ने अपने पी.ऐ. पूछा - इतने खिलाड़ी क्यो फुटबाल को लात मर रहे है?
पी.ऐ. - गोल करने के लिए, सर।
लालू - ससुरा, बाल तो पाहिले से ही गोल है, ...और कितना गोल करेंगे.

खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
रस्ते पे जा के देखा तो खिड़की पे कोई नही था...


जब बारिश होती है,
तुम याद आते हो.
जब काली घटा छाई,
तुम याद आते हो,
जब भीगते हैं,
तुम याद आते हो,
बताओ मेरा छाता कब वापस करोगे?

कैसे हो? मज़े में? तबियत कैसी है? ऊँगली में दर्द नही न? आँख भी ओके? दिमाग ठिकाने? …कमाल है यार, फ़िर तो एस.एम्.एस. कर सकते हो।


एक मन्दिर में बुरी नीयत वाले गायब हो जाते थे.
अमिताभ गया वो गायब,
रित्त्विक गया वो भी गायब,
अक्षय गया वो भी गायब,
ऐश्वर्या गई, भगवान् गायब.


आपके लाइफ में मिठास हो कैडबरी जैसी,
रौनक हो नेरोलक पेंट जैसी,
महक हो लक्स जैसी,
ताजगी हो कोलगेट जैसी,
और टेंसन फ्री रहो हगिस जैसी।


अभी बोले तो भाई को तेरे एस.एम्.एस. नही आरेले,
भाई का खोपडी बहोत टाइट हे,
बोल निकालूं क्या तेरा लकी नंबर ? बोले तो दो-चार एस.एम्.एस. चिपका दाल मामू. प्रेषक ...सर्किट भाई.!

तेज हवा का झोका आया,

साथ में तेरी खुसबू लाया,
तब मेरे दिल में ख़याल आया,
आज तू फिर नही नहाया.

0 Comments: