ये दिल उदास है बहुत कोई पैगाम ही लिख दो
तुम अपना नाम ना लिखो चलो गुमनाम ही लिख दो
मेरी किस्मत मे गम-ए-तन्हाई है लेकिन
तमाम उम्र ना लिखो मगर एक शाम ही लिख दो
ये जानता हूँ के उम्र भर तन्हा मुझको रहना है
मगर अपने पल दो पल ही मेरे नाम लिख दो
चलो हम मान लेते है सज़ा के मुस्तहिक़ ठहरे
कोई ना लिखो, कोई इल्ज़ाम ही लिख दो.
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
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