कल देर रात तक चली मंत्रिमंडल की बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने कहा, “हम पोटा को वापस नहीं लाएंगे। यह मानवाधिकारों के विरुद्ध एक अमानवीय कानून है”। देश में एक के बाद एक बम विस्फोटों से दबाव में आई सरकार ने आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) लाए जाने से आज साफ इंकार किया, लेकिन खुफिया तंत्र को मजबूत करने तथा पुलिस को ज्यादा सक्रिय करने जैसे कुछ उपायों की घोषणा की।यह पूछने पर कि क्या मंत्रिमंडल की बैठक में आतंकवाद से निपटने के लिए ज्यादा कड़े कानून पर विचार किया गया, दासमुंशी ने कहा कि देश के कानून अमेरिका और ब्रिटेन के कानूनों से भी ज्यादा सख्त हैं।
मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने बताया कि आतंकवादी घटनाएं रोकने के बारे में प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों पर वरिष्ठ अधिकारियों का एक दल गंभीरता से विचार कर रहा है।आयोग ने अन्य बातों के अलावा आतंकवाद विरोधी ज्यादा कड़े कानून और आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए ‘संघीय एजेंसी’ बनाने की सिफारिश की है।गुप्ता ने बताया कि आतंकवादी घटनाओं के बारे में खुफिया सूचनाओं के ज्यादा कुशलतापूर्वक आदान-प्रदान के लिए गुप्तचर ब्यूरो के अधीन अनुसंधान एवं तकनीकी केन्द्र स्थापित करने के गृह विभाग के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने दिल्ली पुलिस के लिए 7612 अतिरिक्त पद सृजित करने तथा 11 नए थाने खोलने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दे दी है। इसके अलावा 130 अतिरिक्त वाहन भी दिल्ली पुलिस को मुहैया कराए जाएंगे।
गुप्ता ने कहा कि गुप्तचर ब्यूरो के अधीन बनने वाले अनुसंधान एवं तकनीकी केन्द्र से आतंकी हमलों से जुडी सूचनाओं के विश्लेषण और उनसे अनुभव हासिल करने में मदद मिलेगी।गृह सचिव ने कहा कि केन्द्र राज्य सरकारों को सतर्कता, निगरानी और खुफिया तंत्र को मजूबत करने के लिए आवश्यक उपकरण मुहैया कराएगा।उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे मॉल, मल्टीप्लेक्स, रेस्तराओं आदि जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर क्लोज सर्किट टीवी कैमरे लगाएं। गुप्ता के अनुसार मंत्रिमंडल की बैठक में यह महसूस किया गया कि आतंकवादी घटनाएं केवल राज्यों का ही मामला नहीं है तथा केन्द्र को इस खतरे से निपटने के लिए राज्य सरकारों से पूरा सहयोग करना चाहिए।
मेरी राय मे एक संघीय जाच एजेंसी होनी चाहिए।
जिसे हर तरह से जाच करने की आज़ादी मिलनी चाहिए।
सभी जाच एजेंसिया एक कमांड के तले कार्य करे तो बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।
लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की इच्छा शक्ति मे ही कुछ कमी है।
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
-
मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
1 Comments:
Thank you for your comentarios , you are welcome to visit my blog!
Post a Comment