एक अनमोल रिश्ता था तुमसे, बिखेर दिया तुमने बेवफा इस दुनिया में,
और क्या मांगे हम खुदा से, दर्द के भवर मैं डुबो दिया तुमने.
कुछ फर्क नही है हमें जब तुमने, बिखेर दी मेरी जीवन की खुशियाँ,
चुप रही वो मासूम सी दुल्हन, प्यार बनकर चली थी तेरे आँगन में.
सातों वचन तक साथ न दिया, रुला दिया मुझे दर्द के आंसुओं में,
देख कर चुप जुबान न कही आंखों की एहसास, रुलादिया मुझे दर्द के आंसुओं मैं.
मंजूर नही थी तुमसे जुदाई, रुलादिया मुझे दर्द के आंसुओं में.

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