
बिन उसके जिंदगी दर्द है तन्हाई है,
मेरी आंखों में क्यों रात सिमट आई है,
कहते है लोग इश्क को इबादत यारों,
इबादत में फिर क्यों रुसवाई है। 
वो न आया तो दिल को लुभाने को मेरे,
शब्-ऐ-हिज्र में उसकी याद चली आई है,
महफिल में रह कर भी तनहा रहना,
ये अदा उसकी मोहब्बत ने सिखलाई है। 
ये भी उसकी मोहब्बत की इनायत है यारों,
मैं तमाशा बना और दुनिया तमाशाई है,
इंतज़ार में किसी के न रात को बरबाद करना,
डूबते तारों ने मुझे बात यही समझाई है। 
उससे तालुक ही कुछ ऐसा रहा है दोस्तों,
जब भी सोचा उसे आँख भर आई है।
 
 
 


0 Comments:
Post a Comment