रात पिघलती रही
शमा जलती रही
हिचकियाँ आती रही
जिन्दगी सिसकती रही
प्यालियाँ खनकती रही
प्यास बढती रही
लब थरथराते रहे
जिन्दगी मचलती रही
अश्क ढलते रहे
जान जाती रही
मौत हंसती रही
जिन्दगी तडपती रही
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
4 Comments:
bahut hi shandar prastuti.........dil ko tadpati huyi.
बहुत बढिया साहब
आपकी लाजवाब रचना
हमारे दिल में उतरती रही..........
खूबसूरत लिखा है........आपकी रचना सुन्दर है
विजय जी, आप के इस प्रथम पोस्ट के लिए आप को बधाई हो. वाकई आप ने बहुत अच्छा लिखा है. उम्मीद है आप आगे भी इसी तरह लिखते रहेंगे.
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