ऐ हज़रत दिल की ख्वाहिश जलवा न किया कर,
या अपना भी कभी चक लबादा न किया कर।
अघ्यर से रख मील-जूल तो बेशक न हमें मिल,
पर हमसे मुलाक़ात का वादा न किया कर।
बन्दों को तेरे शौक है देखें तेरा जलवा,
तू इनका खुदा है तो ये परदा न किया कर।
हो सकता है हो जाए तेरे हुस्न पे आशिक,
तू सामने आईने के चेहरा न किया कर।
सुनता है तेरी कौन यहाँ कौन तेरा है,
टूटे हुए दिल लोगों से शिकवा न किया कर।
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जिंदगी की राह में अजीब खेल बन गए,
दो कदम चल कर साथी बिछड़ गए।
देखा तो गुलाब जाने क्यों काँटो को भूल गए,
अपनी ही धुन में हम कुछ देर ग़मों को भूल गए।
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