रूठने की अदा हम को भी आती है मगर
काश कोई होता हमें भी मनाने वाला
किसी के प्यार में गहरी चोट खाई है
वफ़ा से पहले ही बे-वाफी पी है
लोग तो दुआ मांगते हैं मरने की
पर हमने उस की यादों में जीने की कसम खाई है
दुश्मनों में भी दोस्त मिला करते हैं
कांटो में भी फूल खिला करते हैं
हम को कांटा समझ के छोड़ न देना
कांटे ही फूलों की हिफाज़त किया करते हैं
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नाराज़गी खामोशियों से हो जाए बात से पहले पहले
अंधेरे के तलबगार हो क्यूँ रात से पहले पहले
दिल के हाल को तुम उस सुकून-ऐ-दिल से भी छुपाये रखना
खुल के रो लेना मगर मुलाकात से पहले पहले
काश कोई होता हमें भी मनाने वाला
किसी के प्यार में गहरी चोट खाई है
वफ़ा से पहले ही बे-वाफी पी है
लोग तो दुआ मांगते हैं मरने की
पर हमने उस की यादों में जीने की कसम खाई है
दुश्मनों में भी दोस्त मिला करते हैं
कांटो में भी फूल खिला करते हैं
हम को कांटा समझ के छोड़ न देना
कांटे ही फूलों की हिफाज़त किया करते हैं
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नाराज़गी खामोशियों से हो जाए बात से पहले पहले
अंधेरे के तलबगार हो क्यूँ रात से पहले पहले
दिल के हाल को तुम उस सुकून-ऐ-दिल से भी छुपाये रखना
खुल के रो लेना मगर मुलाकात से पहले पहले
3 Comments:
नाराज़गी खामोशियों से हो जाए बात से पहले पहले
अंधेरे के तलबगार हो क्यूँ रात से पहले पहले
दिल के हाल को तुम उस सुकून-ऐ-दिल से भी छुपाये रखना
खुल के रो लेना मगर मुलाकात से पहले पहले
--गजब!! क्या बात है...बहुत खूब!!
दिल के हाल को तुम उस सुकून-ऐ-दिल से भी छुपाये रखना
खुल के रो लेना मगर मुलाकात से पहले पहले
रवि जी............बेहतरीन लिखा है......... मुलाक़ात से पहले खुल कर रोयेंगे तो बात क्या करेंगे
bahut hi shandaar rachna.
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