नैनों से तेरे साकी छलके है हाला

मुस्कराहट में शोखी अंदाज निराला

बाबा रे ! कैसी है तेरी ये मधुशाला

ना सुराही, ना जाम, ना कोई प्याला

पीने वाला फ़िर भी हो जाता है मतवाला

1 Comments:

PREETI BARTHWAL said...

बहुत खूब लिखा है बधाई।