नैनों से तेरे साकी छलके है हाला
मुस्कराहट में शोखी अंदाज निराला
बाबा रे ! कैसी है तेरी ये मधुशाला
ना सुराही, ना जाम, ना कोई प्याला
पीने वाला फ़िर भी हो जाता है मतवाला
"मेरी पत्रिका" के अंजुमन में आप का स्वागत है...
नैनों से तेरे साकी छलके है हाला
मुस्कराहट में शोखी अंदाज निराला
बाबा रे ! कैसी है तेरी ये मधुशाला
ना सुराही, ना जाम, ना कोई प्याला
पीने वाला फ़िर भी हो जाता है मतवाला
1 Comments:
बहुत खूब लिखा है बधाई।
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