घायल हुआ चाँद रात
चाँदनी पीली ज़र्द हुई
ये कैसी हवा चली
बगिया साड़ी उजड़ गई
पलभर में कैसा भंवर उठा
ख्वाबों की दुनिया बिखर गई
गाने को थी गीत प्यार का
वीणा की तारें टूट गई
देखती रही राह सजन की
आए ना वो हाय !
ये कैसी अभागी रात हुई
"मेरी पत्रिका" के अंजुमन में आप का स्वागत है...
1 Comments:
वाह विजय जी, आज तो आपने रचनाओं की झडी लगा दी. सुपर्ब
Post a Comment