अगर आप चाहते हैं कि नींद के दौरान मधुर सपने आएँ तो सोते समय अपने कमरे में सुगंधित फूल रखकर सोएँ.
एक नए शोध से ये जानकारी सामने आई है.
इस शोध में नींद के दौरान कुछ लोगों को ग़ुलाब सूंघाए गए. बाद में इन लोगों ने बताया कि उन्हें नींद में मधुर सपने आए.
जर्मनी के कुछ वैज्ञानिकों ने बताया कि जब नींद के दौरान कुछ महिलओं को सड़े हुए अंडे सूंघाए गए तो इसका असर एकदम उलटा हुआ.
ये वैज्ञानिक अब उन लोगों पर शोध करना चाहते हैं जिन्हें दुस्वप्न आते हैं.
यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल मेनहिम के प्रोफ़ेसर बॉरिस स्टक और उनके सहयोगियों का मानना है कि ऐसा हो सकता है कि ख़ुशबू से मधुर सपने आने में मदद मिल सकती है.
शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने उस चरण का इंतज़ार किया जिसमें सबसे ज़्यादा सपने आते हैं (आरईएम स्टेज) और तब 10 सैंकेड तक आस-पास खुशबू बिखेरी गई. फिर एक मिनट बाद उन्हें जगाया गया.
इन लोगों से उनके सपनों के बारे में पूछताछ की गई. हालांकि इनमें किसी को ख़ुशबू के बारे में ख़ास एहसास नहीं हुआ लेकिन इस दौरान उनके सपनों का रंग कुछ बदला-बदला सा था.
पूर्व में हुए शोध बताते हैं कि आवाज़ और दबाव जैसे कारणों से भी सपनों पर असर पड़ता है.लंदन स्लीप सेंटर के डॉक्टर इरशाद इब्राहिम बताते हैं, “सपनों और आस-पास के माहौल के बीच संबंध के बारे में कुछ हद तक जानते हैं, ये ताज़ा शोध एक शुरुआती क़दम है ताकि तमाम सवालों का जवाब मिल सके और चिकित्सा-विज्ञान में इससे मदद भी मिलेगी.”

With spl.thanks to BBC.


बिन उसके जिंदगी दर्द है तन्हाई है,
मेरी आंखों में क्यों रात सिमट आई है,
कहते है लोग इश्क को इबादत यारों,
इबादत में फिर क्यों रुसवाई है।


वो न आया तो दिल को लुभाने को मेरे,
शब्-ऐ-हिज्र में उसकी याद चली आई है,
महफिल में रह कर भी तनहा रहना,
ये अदा उसकी मोहब्बत ने सिखलाई है।


ये भी उसकी मोहब्बत की इनायत है यारों,
मैं तमाशा बना और दुनिया तमाशाई है,
इंतज़ार में किसी के न रात को बरबाद करना,
डूबते तारों ने मुझे बात यही समझाई है।
उससे तालुक ही कुछ ऐसा रहा है दोस्तों,
जब भी सोचा उसे आँख भर आई है।


आँखें है मेरी वीरान,
दिल में उठे तूफ़ान,
सपनो में आ के,
मेरे दिल में समा के,
मेरे मीत बन गए अनजान,
ये हवाएं क्यों रुलाएं,
छाई रात अँधेरी,
तू जो न हुई मेरी,
देख अकेला मुझे,
घुमड़ती हवाओं में,
बादलों ने डाला है घेरा,
ये घटाएं क्यों सताएं,
आई यहाँ, सुनी रातें,
रिमझिम रिमझिम बरसे सावन,
आया कैसा ये मौसम,
उम्मीदें भी बह गई ,
आंसुओं की धार में,
भीगा मेरा तन और मन,
ये फिजायें क्यों रुलाएं,
आई यहाँ, सुनी रातें.


तुम इस तेज़ धुप भरे जीवन में नीम की एक शीतल छांव हो.
शोर-गुल से भरे सरसों के बीच प्यारा सा एक गाव हो.
तुम कहते हो, आज तुम्हे एक दोस्त मिला,
मई तो कहता हु की तुम दोस्तों की जान हो।


खुदा करे तुझे कभी अकेले न रहना पड़े,
दोस्तों से हमेशा घिरी रहना तुम.
पर मेरे जैसे एक आम से दोस्त को भी
कभी कभी याद करते रहना तुम.

आप जाते हुए हमसे वादा कर गए
के अब सिर्फ़ ख़्वाबों मैं ही आयेंगे.
खुदा करे आप अपना वादा निभाए, कसम से
हम जिंदगी भर के लिए सो जायेंगे।


बहुत ही याद आता है मेरे दिलको तडपता है,
वो तेरा पास न होना बहुत मुझको रुलाता है,
वो मेरा तेरी आंखों के समुन्दर में उतर जाना,
और तेरी मुस्कराहट के भंवर में डूबते जाना,
तेरी आवाज़ के शहर से न निकल पाना,
तुझको देखना और बे-खुदी से देखते जाना,
बहुत चाहा इन गुज़रे हुए लम्हों को न सोचूं,
न तेरी याद में रहके तेरे साथ का सोचूं,
भुला दूँ सारी यादों को जिनसे दिल तड़पता है,
कि जिनसे ठेस उठती है के जिनसे दर्द होता है,
मगर जब रात आती है तो तेरी याद आती है,
तेरे ही ख्वाब होते है तेरी ही बात होती है,
तो तय पाया अब मुमकिन नही तुझको भुला देना,
तेरी याद में रहना तुझे ही सोचते रहना,
तुझे जब याद करते है तो दिल अपना तड़पता है,
वो तेरा पास न होना बहुत महसूस होता है।
देश के रोजाना रेल से सफर करने वाले एक करोड़ 70 लाख लोग एक नई सेवा से ऑनलाइन आरक्षण कराने के लिए समस्त जानकारी केवल एक खोज से प्राप्त कर सकेंगे।यह सुविधा देश की ऑनलाइन ट्रैवल एजेन्सी उद्योग की अग्रणी कम्पनी ‘क्लीयरट्रिप’ ने भारतीय रेलवे केटरिंग एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के साथ भागीदारी पर उपलब्ध कराई है, जिसमें उपयोगकर्ता को किराए, समय सूची और उपलब्धि एक ही समय पर देखने पर मिल सकती है। आप http://www.cleartrip.com/trains पर जाकर सभी जानकरियां हासिल कर सकते हैं। उपयोगकर्ता एक ही समय पर उच्च श्रेणियों का भाड़ा भी देखकर यात्रा का विकल्प भी चुन सकते हैं।क्लीयरट्रिप के संस्थापक हर्ष भट के अनुसार इस सुविधा में हर रेलगाड़ी के आने-जाने के समय, बीच के स्टेशनों की संख्या और रेलमार्ग की जानकारी दी गई है। भुगतान करने के लिए क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या एटीएम कार्ड और नैट बैकिंग जैसे विभिन्न विकल्प उपलब्ध हैं। ‘क्लीयरट्रिप’ के माध्यम से किए जाने वाले सभी आरक्षण उपयोगकर्ता किसी भी समय उनका आरक्षण ऑनलाइन पद्धति से रद्द कर सकता है।

कुछ अजीब सी बात आती है हर पल मेरे मन में,
वो रहते हैं हर पल मेरी खुशी और मेरे गम में।
उनकी खुशियों की हर पल हम दुआ मांगते हैं,
उनके ग़मों को सँभालने के लिए अभी जिंदा हम है।

पास रहता है, दूर रहता है
कोई मेरे दिल में ज़रूर रहता है
जब से देखा है उनकी आँखों को
हल्का हल्का सुरूर रहता है
ऐसे रहते हैं वो मेरे दिल में
जैसे ज़ुल्मत में नूर रहता है

आप पे कुर्बान मेरी यारी है
हंस के मर्जों इस की तय्यारी है
सिलसिला कभी ख़तम न हो ये दोस्ती का
हमने आप को याद किया अब आपकी बारी है।
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान बुधवार, 24.09.2008 को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी से मुलाक़ात की.
मुलाक़ात के बाद दोनों देशों की ओर से जारी किए गए एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच विदेश सचिव स्तर की बातचीत अगले तीन महीनों में होगी.
अभी तक दोनों पक्षों के बीच बातचीत के चार दौर पूरे हो चुके हैं और अब पाँचवें दौर की बातचीत पर सहमति बनी है. दोनों नेताओं ने अबतक चार दौर की बातचीत के नतीज़ों पर भी चर्चा की.
यह भी तय हुआ कि आतंकवाद पर रोक लगाने के मकसद से दोनों देशों के बीच एक संयुक्त आतंकवाद निरोधक कार्यक्रम पर इस वर्ष अक्टूबर महीने में काम किया जाएगा.
इस दौरान अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए हमले की भी चर्चा होगी.
संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के योजना आयोग एक दूसरे से संपर्क बनाए रखेंगे ताकि विकासकार्यों में एक दूसरे का सहयोग किया जा सके. इसमें ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की भी बात कही गई है.
दोनों देशों ने स्वीकारा की सीमा पर चल रहा संघर्षविराम क़ायम और स्थिर रहना चाहिए. इसके लिए यह भी तय किया गया कि सेक्टर कमांडर स्तर के अधिकारी इस बाबत एक-दूसरे के संपर्क में रहेंगे ताकि किसी ओर से संघर्षविराम का उल्लंघन न हो.
दोनों ओर से व्यापार, आर्थिक सहयोग, संपर्क और द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत बनाने की दिशा में कुछ अहम घोषणाएं की गईं.
बहरहाल, ये पहला मौक़ा था जब दोनों नेताओं की मुलाक़ात हुई है. मुलाक़ात के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आसिफ़ अली ज़रदारी को पाकिस्तान का राष्ट्रपति चुने जाने की बधाई भी दी.
यह तो सचमुच में दोनों देशों की शान्ति और संमृद्धि की दिशा में एक बहुत अच्छा संकेत है.

मुसाफिर के रस्ते बदलते रहे

मुक़द्दर में चलना था चलते रहे

कोई फूल सा हाथ काँधे पे था

मेरे साथ शोलों पे चलते रहे

मेरे रस्ते में उजाला रहा

दीये उसकी आँखों के जलते रहे

वो क्या था जिसे हमने ठुकरा दिया

मगर उम्र भर हाथ मलते रहे

मुहब्बत में वफ़ा भी और बेरुखी भी

सुना है उन्हें भी मुहब्बत की हवा लग गई

जो फूलों पे करवट बदलते रहे

हवाओं के जो रुख बदलते रहे।

एक अनमोल रिश्ता था तुमसे, बिखेर दिया तुमने बेवफा इस दुनिया में,
और क्या मांगे हम खुदा से, दर्द के भवर मैं डुबो दिया तुमने.
कुछ फर्क नही है हमें जब तुमने, बिखेर दी मेरी जीवन की खुशियाँ,
चुप रही वो मासूम सी दुल्हन, प्यार बनकर चली थी तेरे आँगन में.
सातों वचन तक साथ न दिया, रुला दिया मुझे दर्द के आंसुओं में,
देख कर चुप जुबान न कही आंखों की एहसास, रुलादिया मुझे दर्द के आंसुओं मैं.
मंजूर नही थी तुमसे जुदाई, रुलादिया मुझे दर्द के आंसुओं में.

बुत को बुत और खुदा को जो खुदा कहते हैं
हम भी देखें कि तुझे देख के क्या कहते हैं।
- दाग

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएंगे
मर के भी चैन न पाया तो किधर जाएंगे।
- जौक

सितारों के आगे जहां और भी हैं,
अभी इश्क के इम्तेहां और भी हैं।
- इकबाल

मासूम है मुहब्बत लेकिन उसी के हाथों,
ये भी हुआ कि मैंने तेरा बुरा भी चाहा।
- फिराक गोरखपुरी

रोग पैदा कर ले कोई जिंदगी के वास्ते,
सिर्फ सेहत के सहारे जिंदगी कटती नहीं।
- फिराक गोरखपुरी

इश्क कहता है दो आलम से जुदा हो जाओ,
हुस्न कहता है जिधर जाओ नया आलम है।
- आसी गाजीपुरी

देखा न आंख उठा के कभी अहले-दर्द ने,
दुनिया गुजर गई गमे-दुनिया लिये हुये।
-फानी बदायूंनी

इश्क कहते हैं जिसे सब वो यही है शायद,
खुद-ब-खुद दिल में है इक शख्स समाया जाता।
- हाली

ऐ इश्क तूने अक्सर कौमों को खा के छोड़ा,
जिस घर से सर उठाया उसको बिठा के छोड़ा।
- हाली

इश्क में कहते हो हैरान हुये जाते हैं,
ये नहीं कहते कि इन्सान हुए जाते हैं।
- जोश मलीहाबादी

इश्क ने ''ग़ालिब'' निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के ।
- ग़ालिब

इश्क में कहते हो हैरान हुये जाते हैं,
ये नहीं कहते कि इन्सान हुए जाते हैं।
- जोश मलीहाबादी
“Smooth roads never make good drivers.
Smooth seas never make good sailors.
Clear skies never make good pilots.
A problem free life never makes a strong and good person.
Have a tough but winning day ahead!
Be strong enough to accept the challenges of life.
Do not ask life, 'why me?' instead say, 'Try me.”
लालू ने अपने पी.ऐ. पूछा - इतने खिलाड़ी क्यो फुटबाल को लात मर रहे है?
पी.ऐ. - गोल करने के लिए, सर।
लालू - ससुरा, बाल तो पाहिले से ही गोल है, ...और कितना गोल करेंगे.

खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नही था,
रस्ते पे जा के देखा तो खिड़की पे कोई नही था...


जब बारिश होती है,
तुम याद आते हो.
जब काली घटा छाई,
तुम याद आते हो,
जब भीगते हैं,
तुम याद आते हो,
बताओ मेरा छाता कब वापस करोगे?

कैसे हो? मज़े में? तबियत कैसी है? ऊँगली में दर्द नही न? आँख भी ओके? दिमाग ठिकाने? …कमाल है यार, फ़िर तो एस.एम्.एस. कर सकते हो।


एक मन्दिर में बुरी नीयत वाले गायब हो जाते थे.
अमिताभ गया वो गायब,
रित्त्विक गया वो भी गायब,
अक्षय गया वो भी गायब,
ऐश्वर्या गई, भगवान् गायब.


आपके लाइफ में मिठास हो कैडबरी जैसी,
रौनक हो नेरोलक पेंट जैसी,
महक हो लक्स जैसी,
ताजगी हो कोलगेट जैसी,
और टेंसन फ्री रहो हगिस जैसी।


अभी बोले तो भाई को तेरे एस.एम्.एस. नही आरेले,
भाई का खोपडी बहोत टाइट हे,
बोल निकालूं क्या तेरा लकी नंबर ? बोले तो दो-चार एस.एम्.एस. चिपका दाल मामू. प्रेषक ...सर्किट भाई.!

तेज हवा का झोका आया,

साथ में तेरी खुसबू लाया,
तब मेरे दिल में ख़याल आया,
आज तू फिर नही नहाया.
गम के साये से खुशियों का यही कहना है
दर्द की चादर को अब तुझसे दूर करना है
तेरी बेवफाई से मिला है मुझको एक सबब
मैंने अपने रब को एक बार फ़िर से जाना है
बुझते है जब चिराग टू रहती है यह शम्मा
मुझको एक बेदार फ़िर से इस अंधेरे में जलना है
देख कर खुश हाथ यह कहा मैंने यह दिल से
तुझको अब कब कब तक यह दर्द सहना है
है खुदा से यह फरियाद के मुझे वो दे हिम्मत
अपने रिश्ते की डोर को एक बार फिर से सीना है
कतरों को रोक लिया ज़िन्दगी जीने के लिए मगर
मैंने हर बार अपनी आंखों से उनका हक़ छिना है
दर्द की कश्ती की है एक मुसाफिर यह
डूबे तो मरना है साहिल पर क्या जीना है
कल देर रात तक चली मंत्रिमंडल की बैठक के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने कहा, “हम पोटा को वापस नहीं लाएंगे। यह मानवाधिकारों के विरुद्ध एक अमानवीय कानून है”। देश में एक के बाद एक बम विस्फोटों से दबाव में आई सरकार ने आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) लाए जाने से आज साफ इंकार किया, लेकिन खुफिया तंत्र को मजबूत करने तथा पुलिस को ज्यादा सक्रिय करने जैसे कुछ उपायों की घोषणा की।यह पूछने पर कि क्या मंत्रिमंडल की बैठक में आतंकवाद से निपटने के लिए ज्यादा कड़े कानून पर विचार किया गया, दासमुंशी ने कहा कि देश के कानून अमेरिका और ब्रिटेन के कानूनों से भी ज्यादा सख्त हैं।

मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में गृह सचिव मधुकर गुप्ता ने बताया कि आतंकवादी घटनाएं रोकने के बारे में प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों पर वरिष्ठ अधिकारियों का एक दल गंभीरता से विचार कर रहा है।आयोग ने अन्य बातों के अलावा आतंकवाद विरोधी ज्यादा कड़े कानून और आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए ‘संघीय एजेंसी’ बनाने की सिफारिश की है।गुप्ता ने बताया कि आतंकवादी घटनाओं के बारे में खुफिया सूचनाओं के ज्यादा कुशलतापूर्वक आदान-प्रदान के लिए गुप्तचर ब्यूरो के अधीन अनुसंधान एवं तकनीकी केन्द्र स्थापित करने के गृह विभाग के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है।उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने दिल्ली पुलिस के लिए 7612 अतिरिक्त पद सृजित करने तथा 11 नए थाने खोलने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दे दी है। इसके अलावा 130 अतिरिक्त वाहन भी दिल्ली पुलिस को मुहैया कराए जाएंगे।
गुप्ता ने कहा कि गुप्तचर ब्यूरो के अधीन बनने वाले अनुसंधान एवं तकनीकी केन्द्र से आतंकी हमलों से जुडी सूचनाओं के विश्लेषण और उनसे अनुभव हासिल करने में मदद मिलेगी।गृह सचिव ने कहा कि केन्द्र राज्य सरकारों को सतर्कता, निगरानी और खुफिया तंत्र को मजूबत करने के लिए आवश्यक उपकरण मुहैया कराएगा।उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे मॉल, मल्टीप्लेक्स, रेस्तराओं आदि जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर क्लोज सर्किट टीवी कैमरे लगाएं। गुप्ता के अनुसार मंत्रिमंडल की बैठक में यह महसूस किया गया कि आतंकवादी घटनाएं केवल राज्यों का ही मामला नहीं है तथा केन्द्र को इस खतरे से निपटने के लिए राज्य सरकारों से पूरा सहयोग करना चाहिए।

मेरी राय मे एक संघीय जाच एजेंसी होनी चाहिए।
जिसे हर तरह से जाच करने की आज़ादी मिलनी चाहिए।
सभी जाच एजेंसिया एक कमांड के तले कार्य करे तो बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।
लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की इच्छा शक्ति मे ही कुछ कमी है।

एक दिन मुस्कराहट ने पुछा मुझसे,
हमने रोज़ रोज़ क्यूँ बुलाते हो,
मैंने कहा में याद तो अपने दोस्त को करता हूँ,
तुम तो साथ में ख़ुद ही चले आते हो.

दुआ करते है हम सर जुकाए..
ए दोस्त तू अपनी मंजिल को पाये..
अगर कभी तेरी रहो में अँधेरा आए...
रौशनी के लिए खुदा हम को जलाये...

क़र्ज़ जिंदगी में चुकाना नही होता,
एहसान जिंदगी में जाताना नही होता,
बस सलामत रहे अपनी ये दोस्ती,
क्योंकि ये वो रिश्ता है जो कभी पुराना नही होता।

सातो आसमानों की सैर हम कर आए,

हर एक तारे से दोस्ती कर आए,

एक तारा खास था जिसे हम साथ ले आए,

वरना आप ही सोचिये, आप इस जमीं पे कैसे आए!

ढूंढता है ज़माना बेदाग चाँद सितारो मे
अरे वो तो जगमगा रहा है मेरी बाहो मे
हैरान है सब, फलक पे नही है सितारे
बिछा दिये हम ने सारे उनकी राहों मे.
उसकी आंखो मे बंद रहना अच्छा लगता है
उसकी यादो मे आना जाना अच्छा लगता है
सब कहते है ये ख्वाब है तेरा लेकिन
ख्वाब मे मुझको रहना अच्छा लगता है
तन्हा जब रहती हूँ ख्यालो मे तुम्हे पाती हूँ
हर जगह तुम्हे मै मेहसूस करती हूँ
अपने साये मे भी मै तुम्हे ही देखती हूँ
क्यो तुम ही तुम नज़र आते हो सोचती रहती हूँ
ये कैसी हलचल है दिल मे जो पहले ना थी
हर आहत से क्यो मै चौंक उठती हूँ
नज़र हमेशा तुम्हे ही तलाशती रहती है
क्या तुम्हे भी ऐसा लगता होगा सोचती रहती हूँ
आते ही ख्याल तुम्हारा लब यूँ खिल जाते है
दिल ही दिल मे तुम्हे सदा देती रहती हूँ
सामने ना हो फिर भी क्यो पलक झुक जाती है
ये कैसी उल्झन है क्या हुआ आज मुझे सोचती रहती हूँ.

क्या आपने कभी सोचा है कि हमारा मस्तिष्क कभी विश्राम नहीं करता है. हमेशा विचारों से घिरा रहता है. आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हमारे दिमाग पर भी बोझ बढ़ता जा रहा है. इससे बचने के लिए हमें कुछ पल निकालकर शवासन और अदबासन जैसे विश्रात्मक आसन का अभ्यास करना चाहिए. अगर शवासन को पूरी सजगता के साथ किया जाए तो यह तनाव दूर करता है, उच्च रक्तचाप सामान्य करता है और नींद न आने की समस्या को दूर भगाता है. इससे आप शारीरिक और मानसिक थकान को दूर भगा सकते हैं. बस ज़रूरत है आपको प्रयास करने की. जब भी आप योगाभ्यास करें तीन बातों का विशेष ध्यान रखें, पहली है मानसिक सजगता, दूसरी साँस का ध्यान और तीसरी है आप अपनी शारीरिक गतिविधियों को भी अन्तर्मन से देखने की कोशिश करें. शरीर में किसी प्रकार का तनाव न रखें. अगर आप योग का सहारा लेना चाहते हैं तो शवासन और अदबासन के अभ्यास से आप तनावरहित हो जाएँगे. आपका मस्तिष्क भी शांत अर्थात विचार शून्य हो जाएगा. इससे आपके शरीर की बैटरी भी रिचार्ज हो जाएगी.

कैसे करें शवासन -

पीठ के बल लेट जाएँ और दोनों पैरों में डेढ़ फुट का अंतर रखें. दोनों हाथों को शरीर से 15 सेमी की दूरी पर रखें. हथेली का रुख़ ऊपर की ओर होगा.
सिर को सहारा देने के लिए तौलिया या किसी कपड़े को दोहरा कर सिर के नीचे रख सकते हैं. इस दौरान यह ध्यान रखें कि सिर सीधा रहे.
शरीर को तनावरहित करने के लिए अपनी कमर और कंधों को व्यवस्थित कर लें. शरीर के सभी अंगों को ढीला छोड़ दें. आँखों को कोमलता से बंद कर लें. शवासन करने के दौरान किसी भी अंग को हिलाना-डुलाना नहीं है.
आप अपनी सजगता को साँस की ओर लगाएँ और उसे ज़्यादा से ज़्यादा लयबद्ध करने का प्रयास करें. गहरी साँसें भरें और साँस छोड़ते हुए ऐसा महसूस करें कि पूरा शरीर शिथिल होता जा रहा है. शरीर के सभी अंग शांत हो गए हैं.
कुछ देर साँस की सजगता को बनाए रखें, आँखें बंद ही रखें और भू-मध्य में एक ज्योति का प्रकाश देखने का प्रयास करें.
अगर कोई विचार मन में आए तो उसे साक्षी भाव से देखें, उससे जुड़िए नहीं, उसे देखते जाएँ और उसे जाने दें. कुछ ही पल में आप मानसिक रूप से भी शांत और तनावरहित हो जाएँगे.
आँखे बंद रखते हुए इसी अवस्था में आप 10 से 1 तक उल्टी गिनती गिनें. उदाहरण के तौर पर "मैं साँस ले रहा हूँ 10, मैं साँस छोड़ रहा हूँ 10, मैं साँस ले रहा हूँ 9, मैं साँस छोड़ रहा हूँ 9." इस प्रकार शून्य तक गिनती को मन ही मन गिनें.
अगर आपका मन भटक जाए और आप गिनती भूल जाएँ तो दोबारा उल्टी गिनती शुरू करें. साँस की सजगता के साथ गिनती करने से आपका मन थोड़ी देर में शांत हो जाएगा.

कितनी देर करें शवासन -

योग की पाठशाला में आप 1 या 2 मिनट तक शवासन का अभ्यास कर सकते हैं. अलग से समय निकाल पाएँ तो 20 मिनट तक शवासन अभ्यास नियमित करना चाहिए. ख़ासकर थक जाने के बाद या सोने से पहले.

विशेष बात -

शवासन के दौरान किसी भी अंग को हिलाएंगे नहीं. सजगता को साँस की ओर लगाकर रखें. अंत में अपनी चेतना को शरीर के प्रति लेकर आएँ.
दोनों पैरों को मिलाइए, दोनों हथेलियों को आपस में रगड़िए और इसकी गर्मी को अपनी आँखों पर धारण करें. इसके बाद हाथ सीधे कर लें और आँखे खोल लें.

फ़ायदा -

शवासन एक मात्र ऐसा आसन है, जिसे हर वर्ग और उम्र के लोग कर सकते हैं. यह सरल भी है. पूरी सजगता के साथ किया जाए तो तनाव दूर होता है, उच्च रक्तचाप सामान्य होता है, अनिद्रा को दूर किया जा सकता है.
शरीर जब शिथिल होता है, मन शांत हो जाता है तो आप अपनी चेतना के प्रति सजग हो जाते हैं. इस प्रकार आप अपनी प्राण ऊर्जा को फिर से स्थापित कर पाते हैं. इससे आपके शरीर की बैटरी रीचार्ज हो जाएगी.

अदबासन -

जिस प्रकार मंदिरों में प्रभु के दरबार में दंडवत प्रणाम करते हैं यानी कि मत्था टेकते हैं, उसी प्रकार अदबासन करने के लिए हम पेट के बल लेटते हैं, माथा ज़मीन से स्पर्श करते हैं और दोनों हाथों को सिर से आगे की ओर फैलाकर रखते हैं. इस दौरान हथेलि का रुख़ ज़मीन की ओर होना चाहिए.
अदबासन शरीर के सभी अंगों में शिथिलता लाता है. यह मन को शाँत और तनावरहित करने में भी है सहायक है. साँस को सामान्य रखें. लयबद्ध तरीक़े से साँस लें. पेट को फुलाएँ और साँस छोड़ते हुए पेट को पिचकाएँ. अदबासन को आप 1-2 मिनट या जब तक आपको आराम मिले अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं.

विशेष बात -

आप उल्टी गिनती का अभ्यास साँस की सजगता के साथ कर सकते हैं. अपनी चेतना को साँस के साथ लगाकर रखे. शरीर के सभी अंगों को बारी-बारी से शिथिल करते जाएँ. मन में ऐसी धारणा बनाएँ और अपना ध्यान भ्रू-मध्य में लगाकर रखें.

फ़ायदा -

जिन्हें गले के पिछले हिस्से में दर्द या तनाव रहता है या स्लिप डिस्क की समस्या है, ऐसे लोग अगर अदबासन करें तो उन्हें आराम मिलेगा.
इस आसन में वे विश्राम भी कर सकते हैं। यह शरीर के सभी अंगों में शिथिलता लाता है। अदबासन मन को शाँत और तनावरहित करने में भी सहायक है।

...With spl.Thanks to BBC.

जिनकी आंखे आंसु से नम नही
क्या समझते हो उसे कोई गम नही।
तुम तडपके रो दिये तो क्या हुआ
गम छुपाके हंसने वाला भी कुछ कम नही।

वो हमको बुलाते है हम जा भी नही सकते
मज़बूरी मगर उनको बतला भी नही सकते
ना जाने खता क्या है इस कदर खफा है वो
पहलू मे उन्हे अपने हम ला भी नही सकते।

चाहे ना बिठाये वो मेहफिल मे हमे अपनी
दिल मे वो हमारे है ठुकरा भी नही सकते
अब आखिरी सांसे है जाते है जहाँ से हम
संदेशा उनको भिजवा भी नही सकते।

ये खामोश समा भी कई राज़ कह जाता है
चुप रहके भी कई लफ्ज़ बयान कर जाता है
तकलीफ तब नही होती जब कोई दिल तोड जाता है
दर्द तब होता है जब कोई अपना हमसे रुठ जाता है।

....रवि

ये दिल उदास है बहुत कोई पैगाम ही लिख दो
तुम अपना नाम ना लिखो चलो गुमनाम ही लिख दो
मेरी किस्मत मे गम-ए-तन्हाई है लेकिन
तमाम उम्र ना लिखो मगर एक शाम ही लिख दो
ये जानता हूँ के उम्र भर तन्हा मुझको रहना है
मगर अपने पल दो पल ही मेरे नाम लिख दो
चलो हम मान लेते है सज़ा के मुस्तहिक़ ठहरे
कोई ना लिखो, कोई इल्ज़ाम ही लिख दो.

विश्व हिंदू परिषद के स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की 23 अगस्त की शाम कंधमाल के जलास्पोता आश्रम में हत्या कर दी गई. उनकी हत्या के बाद शुरू हुआ हिंसा और तनाव का माहौल अभी तक सामान्य स्थिति में नहीं लौटा है. पर उड़ीसा में ये हिंसा पहली बार नही हुई है. दिसंबर 2007 में भी सांप्रदायिक हिंसा राज्य के लोगों ने देखी थी और वर्ष 1999 में ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके दो पुत्रों की हत्या को अभी तक कौन भूल पाया है. स्वामीजी पर सात बार हमला हो चुका था, इस बार हमलावर कामयाब हो गए. इसके साथ आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया.
स्वामीजी वहाँ पर बड़े पैमाने पर सामाजिक सेवा का कार्य चलाते थे. आदिवासी लड़कियों के लिए वे हॉस्टल चलाते थे. स्कूल चलाते थे. उनके इस काम को मिशनरी लोग अपने धर्मांतरण के काम में बाधा के रुप में देखते थे. उन पर कई बार हत्या के प्रयास किए गए थे. हम मानते हैं कि इस हत्या के पीछे ईसाई संगठन से जुड़े लोगों का हाथ है."
उड़ीसा के आर्चबिशप रफ़ाएल चीनथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हाल ही में मिले. प्रधानमंत्री के सामने जो उन्होंने अपनी माँगे रखी उसे उन्होने यूँ गिनाया- "हम चाहते हैं की ईसाइयों पर हो रहे हमले तुंरत रोके जाए. जो हज़ारों ईसाई अपनी घरों को छोड़ जंगलों में शरणार्थी बनने पर मजबूर हुए है उन्हें वापस लाया जाए. ईसाइयों पर लग रहे आरोपों पर विराम लगाने के लिए सीबीआई जाँच की घोषणा की जाए."
जो बाते उन्होंने रखी वह राज्य सरकार के प्रति अविश्वास और वहां व्याप्त भय के माहौल को इंगित करती हैं.
संघ परिवार का तर्क है की ईसाई धर्मांतरण करवा रहे हैं जिसका विरोध हो रहा है और संघ परिवार के किसी भी संगठन का हिंसा में हाथ नहीं है. राम माधव कहते हैं, "इसमें हमारे संगठनों का कोई हाथ नहीं है. स्वामीजी इतने प्रतिष्ठित थे कि स्वाभाविक रूप से उनकी हत्या के बाद लोगों में कुछ नाराजगी प्रकट हुई. इसे शांत करने के लिए सरकार तुरंत दोषियों को पकड़े और उसे दंडित करे."
लेकिन सांप्रदायिक हिंसा बार-बार उडी़सा में क्यों फैल रही है. ये प्रश्न भी उठ रहा है.
संघ परिवार दुनिया भर में उठ रहे शोर को ईसाई धर्म प्रचारकों की रणनीति का हिस्सा मानते हैं. राम माधव कहते हैं, "अपने पीड़ित होने का प्रचार करना ईसाईयों की हमेशा की आदत है. प्रचार तंत्र का दुरुपयोग ईसाई मिशनरी करते हैं. वास्तव में वे ही इस समय गाँवों में हो रही हिंसा में लिप्त हैं."

पर आख़िर क्यों उड़ीसा धर्म का अखाड़ा बन गया है. पर क्या वाकई ये धर्म की लडा़ई है या कुछ और..? असली लडा़ई धर्म के प्रचार को ले कर है। धर्मांतरण पर प्रतिस्पर्धा का ये नतीजा है कि यहाँ हिंसा हो रही है. वहाँ पर धर्मातंरण की प्रतियोगिता चल रही है। संघ परिवार और मिशनरी दोनों ही इसमें शामिल हैं।

अगर ऐसा है तो ये कब तक चलेगा. कब तक निर्दोष लोग मारे जाएँगे. राज्य सरकार को तुंरत इसे रोकना चाहिए लेकिन वह इसमे पूरी विफल है. यहाँ न राजनीति में ऐसी कोई ताक़त है जो मौजूदा समीकरण को चुनौती दे सके और न ही सभ्य समाज जो आवाज़ उठा सके. ऐसे में जब तक धर्म और राजनीति का ख़तरनाक खेल समाज के ठेकेदार खेलते रहेंगे, जनता आतंक का सामना करती रहेगी.

ज़िन्दगी थी अजीब सब के सब एक ख्वाब थे,
जो खुशी नही मिली उसके गम बेहिसाब थे।
था समंदर अपना फिर भी क्यो प्यासे थे,
हमारी एक ही बात मे छुपे की हिजाब थे।
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

क्या सोचा था
और क्या हो गया
जिसे चाहा था
वोहि अंजान हो गया
मन्ज़िले तो मिली बहुत सी
पर उनका निशा खो गया.

लौट आओ जाने वाले
मुझे तेरी ज़रूरत है
ज़िन्दगी है बहुत कम
मेरी खुशियाँ अभी अधुरी है।
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

आपकी यादो से सिवा कोई सहारा नही
आपको सोचे बिना दिन गुज़रता हमारा नही
हर सांस मे हमारी अब आप सामने लगे हो
और आपने हमे अब तक ख्वाबो मे उतारा ही नही
मुस्कुराते चेहरे के पीछे रोता है दिल मेरा
आंखो मे है समुंद्र पर अश्क़ बहा सके नही
हम तो ज़िन्दा ही आपके प्यार के सहारे है
कैसे आये आपने होंठो से पुकारा ही नही।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुऐ कातिल में है
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बात चीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल में है
ए शहीद-ऐ-मुल्क- ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चर्चा घर की महफिल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है
खींच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूचा-ऐ-कातिल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
हाथ जिन में हो जूनून कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वोह झुकते नही ललकार से.
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
हम तो घर से निकले ही थे बांधकर सर पे कफन,
चाहतें लीं भर लिए लो भर चले हैं ये क़दम.
जिंदगी तो अपनी मेहमान मौत की महफिल में है,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
दिल में तूफानों की टोली और नसों में इन्कुइलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंजिल में है,
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.
यूँ खरा मकतल में कातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ऐ-शहादत भी किसी के दिल में है।

...अपने विचारों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति आज के वक्त की ज़रूरत है। अपने अस्तित्व की सार्थकता के लिए ज़रूरी है। लोगों की ज्यादा सहभागिता हो, ताकि हम बिन्दु के हर पहलु पर विचार-विमर्श करे सकें। अगर समाज में बुराइयां पल रही हैं तो हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने आस-पास और समाज में फ़ैल रही बुराईयों के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करें। बुराइयों के कारणों को जानें और समाधान तलाशें। बेहतर समाज और मज़बूत राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान देने की एक छोटी सी कोशिश है ..."मेरी पत्रिका"

With expectations of your cooperation...

राजधानी दिल्ली में कुल 4 स्थानों पर हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में 25 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए. पहले बंगलौर, अहमदाबाद, सूरत और अब दिल्ली । और आगे हो सकता है की उनका अगला निशाना वाराणसी या कोई और शहर हो। ऐसी खबरें अब धीरे-धीरे आम बात होती जा रही हैं। जिस तरह एक के बाद एक आतंकवादी देश की किसी भी कोने में बम बिस्फोट कर रहे हैं। ऐसा लगता है की वर्तमान सरकार में आतंकवाद से लड़ने की शत प्रतिशत इच्छा शक्ति का आभाव है। सुरक्षा एजेंसियां भी वक्त रहते उन्हें रोकने में सफल नही हो पा रही हैं। अब तक दिल्ली में ४ जगहों पर बिस्फोट हो चुके हैं और कई बिस्फोटक बरामद किए जा चुके हैं। अभी पता नही कितने ऐसे पड़े होंगे जो अभी तक खोजे नही जा सके होंगे। पुलिस के बम निरोधक दस्ते ने अब तक कई बमों को निष्क्रिय कर दिया है। इन बमों के मिलने से यह साबित हो जाता है कि आतंकियों ने इस बार दिल्ली को अपना निशाना बनाया था।

अगर इस परेप्रेक्ष्य में पड़ोसी देश की बात करे तो भारत में चल रही आतंकवादी गतिविधियों का काफ़ी गहरा सम्बन्ध पाकिस्तान से है। एक तरफ़ पकिस्तान के प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति भारत में हुए बम कंडों की निंदा करते हैं और आतंकवाद की लड़ाई में भारत का साथ और मदद चाहते हैं। क्या केवल इसलिए की कोई कही पाकिस्तान की ओर अंगुली न उठा दे? क्योकि ऐसा अक्सर होता रहा है… या फ़िर वाकई पाकिस्तान की मूल भावना भारत और भारतीयों से दोस्ती करने की होती जा रही है. क्या अब वो भी इस बात को समझने लगे हैं की पड़ोसी के साथ कटुता और शत्रुता छोड़कर मैत्री भाव से और आपसी सहयोग से वास्तविक विकास सम्भव है? किंतु दूसरी तरफ़ उनकी सीमा से घुसपैठ की जो कार्रवाही की जाती है, क्या वह पकिस्तान सरकार की जानकारी में नही है? सीमा पार घुसपैठ भारत के लिए सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। आख़िर पकिस्तान इस पर अंकुश लगाने के लिए कब ठोस कदम उठाएगा। भारत के शीर्ष नेता इसे कब तक हल कर पायेंगे? ...इसी तरह के अनगिनत सवाल मेरे मन में आज उठ रहे हैं। और शायद ...........भारत की आम जनता के मन में भी उठते होंगे। ऐसे में एक आम आदमी क्या करे। उसका क्या कसूर है। हर जगह वो ही निशाना क्यो बनता है?
आतंकवाद और आतंकवादियों का सिवाय आतंक और दहशत फैलाने के अलावा और कोई धर्म नही होता। उन्हें किसी के विकास और समृद्धि से कोई लेना-देना नही है। आख़िर यह बात लोगों के समझ में कब आएगी?

आज-कल तेज़ी से बढ़ रही आतंकवादी गतिविधियों के देखकर ऐसा लगता है जैसे पूरे देश पर हमला हो रहा है। शायद अब वह समय आ गया है की जब केन्द्र सरकार को देश की आतंरिक सुरक्षा को लेकर कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए। केन्द्र सरकार को चाहिए की वह सभी राज्यों के साथ मिलकर एक ऐसी अंतर्राज्यीय जांच एजेंसी का निर्माण करे जो हर तरह से परिपूर्ण हो। जो पूरे देश में एक समान रूप से लागू हो। भारत की सर्वोच्च जाच संस्था सी बी आई को अमेरिका की जाच संस्था ऍफ़ बी आई जैसी पावर और अधिकार मिलने चाहिए। ताकि वह किसी भी प्रकार के राजनैतिक दबाव में न आए और स्वतंत्र और निष्पक्ष जाच करे। भारत की पुलिस तंत्र को और मजबूत करने की बेहद ज़रूरत है। हर राज्य की पुलिस और केन्द्रीय खुफिया एजेंसियों में अच्छा और फास्ट तालमेल होना चाहिए। वैसे तो भारत ही नही पूरा विश्व आतंकवाद से जूझ रहा है, लेकिन चूँकि भारत सदा से शान्ति का पुजारी रहा है, और वो आगे भी विश्व समुदाय को शान्ति और अहिंसा का मार्ग दिखाता रहेगा। कुछ लोग इसे भारत की कमजोरी समझते हैं। पर हमारी सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए की विश्व समुदाय इसे भारत को अपनी कमजोरी के रूप न देखे। नही तो देश की स्थिति दिनों-दिन और भी बदतर होती जायेगी और आम जनता में भय और दहशत का माहौल व्याप्त हो जाएगा।

क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक की बोतलें मस्तिष्क के लिए कितनी घातक सिद्ध हो सकती हैं? दरअसल ये बोतलें हमारी सीखने की क्षमता तथा स्मरणशक्ति पर भी बुरा असर डाल सकती हैं। कनाडा के गुएल्फ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का मानना है कि ये शिजोफ्रेनिया (मतिभ्रम), अवसाद अथवा अल्जाइमर्स (भूलने की बीमारी) जैसी बीमारियों को भी जन्म दे सकती हैं।शोधकर्ताओं के मुताबिक प्लास्टिक की पानी की बोतलें, बच्चों के इस्तेमाल की बोतलें आदि को बनाने में बिस्फेनॉल (बीपीए) नामक एक पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है जो मस्तिष्क की कई गतिविधियों को प्रभावित करता है।शोध में पाया गया कि इन बोतलों में जो पदार्थ रखा जाता है उसमें बीपीए का धीमी गति से रिसाव होता रहता है जो उस पदार्थ के साथ मनुष्य के शरीर में चला जाता है। शोधकर्ता नील मैकलस्की के अनुसार यह पदार्थ धीरे-धीरे शरीर में एकत्रित होकर मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
1. Your presence is a present to the world.2. You're unique and one of a kind.3. Your life can be what you want it to be.4. Take the days just one at a time.5. Count your blessings, not your troubles.6. You'll make it through whatever comes along.7. Within you are so many answers.8. Understand, have courage, be strong.9. Don't put limits on yourself.10. So many dreams are waiting to be realized.11. Decisions are too important to leave to chance.12. Reach for your peak, your goal, and your prize.13. Nothing wastes more energy than worrying.14. The longer one carries a problem, the heavier it gets.15. Don't take things too seriously.16. Live a life of serenity, not a life of regrets.17. Remember that a little love goes a long way.18. Remember that a lot . . . goes forever.19. Remember that friendship is a wise investment.20. Life's treasures are people . . . together.21. Realize that it's never too late.22. Do ordinary things in an extraordinary way.23. Have health and hope and happiness.24. Take the time to wish upon a star.
मेरे दोस्त
क्रमशः ...