मुश्किलौ का सामना करना बड़ा मुश्किल लगता है


पैरों में हों छाले तो चलना बड़ा मुश्किल लगता है


भंवर में हो नैया तो किनारा दूर लगता है


उलझा हो कांटो में अगर दामन तो


सम्भलना मुश्किल लगता है


patjhad का हो मौसम तो फूलौ का खिलना मुश्किल लगता है


havaayein हों tej तो दिया jalaae रखना मुश्किल लगता है


दौरे gardisha में हो aadmi तो हमदर्द milna मुश्किल लगता है

2 Comments:

दिगम्बर नासवा said...

विजय जी
मुश्किल तो हर दौर........हर चीज में है.....सामना डट कर करना चाहिए......सुन्दर रचना है

Archana Gangwar said...

vjay ji her lne bahut khoobsorat hai ..haas last line gardish mein
hamdard........wah kya baat hai