इश्क करने वाले आँखों से आँखों की बात समझ लेते हैं,
सपनो मे मिल जाए तो मुलाकात समझ लेते हैं ,
रोता तो ये आसमान भी है अपनी धरती के लिए,
पर लोग उसे बरसात समझ लेते हैं।

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समझा न कोई दिल की बात को,
दर्द दुनिया ने बिना सोचे ही दे दिया ,
सह गए जो गम हम चुपके से,
तुमने हमें ही पत्थर-दिल कह दिया।

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कोई ऐसा पल नही
जब तुम याद न आए
जो अगर इरादा किया तुम्हे भुलाने का
तुम और भी याद आए
जब कोई रिश्ता ही नही होना था हमारे बीच
तो फिर क्यूँ तुम मेरी ज़िन्दगी में आए।

4 Comments:

अनिल कान्त said...

waah chha gaye bhai jaan
padhkar dil khush ho gaya

दिगम्बर नासवा said...

रोता तो ये आसमान भी है अपनी धरती के लिए,
पर लोग उसे बरसात समझ लेते हैं।

दम दार हैं...........नया पन लिए.........

PREETI BARTHWAL said...

बहुत बढ़िया ये इश्क इश्क है इश्क इश्क।

vandana gupta said...

kya khoob likhte hain aap.........dil ko kalam banakar jab likha jata hai to adbhut hi hota hai........bahut hi alag nazariye se dekhte hain........aapka nazariya dil ko choo jata hai.......bahut badhiya......aise hi likhte rahein.

kabhi hamare blog par bhi aayein.
vandana-zindagi.blogspot.com