हिज्र की आग में सुलगो तो बुरा लगता है,
तुम मेरे दीदार को तरसो तो बुरा लगता है।
तमन्ना है फकत मुझपे मेहरबान रहो,
तुम किसी और को देखो तो बुरा लगता है।


मेरी रूह तरसती है तेरे ख़्वाबों को,
तुम कहीं और महको तो बुरा लगता है।
आरजू है के तुमसे दिलसे दोस्ती का हाथ मिलाऊं,
तुम मेरी दोस्ती को नकारो तो बुरा लगता है।
-----------------------------------

खुशबू तेरे प्यार की महका जाती है,
तेरी हर बात मुझे बहका जाती है।
साँस तो बहुत देर लेती है आने-जाने में,
साँस से पहले तेरी याद आ जाती है॥

2 Comments:

दिगम्बर नासवा said...

खुशबू तेरे प्यार की महका जाती है,
तेरी हर बात मुझे बहका जाती है।
साँस तो बहुत देर लेती है आने-जाने में,
साँस से पहले तेरी याद आ जाती है॥

वाह रवि जी
क्या बात लिख दी है...........सांस से पहले तेरी याद आ जाती है
सच लिखा प्यार में ऐसा ही होता है

रंजना said...

सुन्दर भावपूर्ण रचना..