ज़िन्दगी क्या बिताएगा अपनी शराब पर,
औरों को भी जीना क्या सिखायेगा शराब पर
रंगीन हैं ये दुनिया मालूम ही तुझे क्या,
सारी रिश्तेदारी क्या ठुकराएगा शराब पर।
वक्त हैं अब भी छोड़ क्यों नही देता पीना,
उठे सर को भी क्या झुकायेगा शराब पर।
नाम और शोहरत तेरी भी कम नही हैं,
पी -पीकर जग को क्या हँसाएगा शराब पर।
चाहत भरी रंज में रिश्तों की डोर से,
अपनी जान को क्या दे जाएगा शराब पर।
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हर मोड़ पर मुकाम नही होता,
दिल के रिश्तो का कोई नाम नही होता।
दिल की रौशनी से खोजा है आपको,
आप जैसा दोस्त मिलना आसान नही होता।

1 Comments:

दिगम्बर नासवा said...

हर मोड़ पर मुकाम नही होता,
दिल के रिश्तो का कोई नाम नही होता।
दिल की रौशनी से खोजा है आपको,
आप जैसा दोस्त मिलना आसान नही होता

वाकई दिल के रिश्तों का कोई नाम नहीं होता...............और दोस्ती भी ऐसी ही होती है..........
लाजवाब लिखा है