झरोखे से ही सही हमें आपके घाव दिख गए,
लिखने आए थे जहाँ इश्क वही दर्द लिख गए।
अफ़सोस कि आपको भी मोहब्बत नही मिली अब तलक,
हमारी खोज में भी अब बरसों बीत गए।
हमदर्दी की नही हमें हमराज़ की तलाश हैं,
हमराही का साथ लिखना शायद खुदा भूल गए।
मेरे दश्त से कोई वास्ता न था जहाँ आप भटके,
मैं समंदर से पुकारता रहा पर आप बंजर की ओर चले गए।
किसको मालूम हैं यहाँ मोहब्बत की सीरत और सूरत,
इस बस्ती से वो मोहब्बत के परिंदे उड़ गए।
नजदीकियों में इजाफा करने आपसे हम आगे चले,
हमें ठुकरा कर आप गैर के पहलू में चले गए।

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I am with you each moment of our life…
Don’t ever be sad, don’t ever you sigh…
My smell you can feel in atmosphere…
Close your eyes, you will find me near..

3 Comments:

दिगम्बर नासवा said...

नजदीकियों में इजाफा करने आपसे हम आगे चले,
हमें ठुकरा कर आप गैर के पहलू में चले गए

हसीनों की तो आदत ऐसी ही होती है............लाजवाब लिखा है रवि जी

bnihal.com said...

Sachmuch Jise Aap Chahte Hai Use Bhul Pana Bahut Hi Mushkil Hai

Archana Gangwar said...

हमारी खोज में भी अब बरसों बीत गए।
हमदर्दी की नही हमें हमराज़ की तलाश हैं,
हमराही का साथ लिखना शायद खुदा भूल गए।

bahut khoob