कभी रोएगी मेरी याद में तनहा
उज्जड चुका होगा आशियाँ हो जाउंगी में फना
मेरे हर बात को तस्वीर बनके रखना
मेरा इंतज़ार अपनी आंखों में बनके रखना
तुझसे मांगी थी खुशियाँ मैंने
तुने गुम्म भी देने से इनकार कर दिया
जाते हुए याद करना मुद मुद कर
मेरे आँसू तेरी आवाज़ को तरस रहे थे
हमें मेफ्फिलों में भुला देना लेकिन
बहुत याद आउंगी में तनहाइयों में
कभी रोएगी मेरी याद मिएँ तनहा देखना.
तेरी जुदाई भी हमें प्यार करती है, तेरी याद बहोत
बेकरार करती है, वो दिन जो तेरे साथ गुज़रे थे,
तलाश उनको नज़र बार बार करती है।


With spl.Thanks to Vibha.

2 Comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर रचना है बधाई।

Anonymous said...

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