सभी पाठकों को 'मेरी पत्रिका' की तरफ से
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये.

दीपावली यानी दीयों का त्योहार।
दीपावली के दिन जिस देवी लक्ष्मी
और गणेश भगवान की पूजा होती है,
उन्हीं देवी-देवताओं की मूर्तियों को
सजाने में मगन है यह सारा संसार.

दीपावली पूजा और लक्ष्मी पूजा के अवसर पर प्रमुख रूप से भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी के तीन रूपों की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पूर्व की जाती है क्योंकि ये विघ्नहर्ता यानी बाधाओं को हरने वाले हैं। देवी लक्ष्मी की पूजा उनके तीन रूपों –
महालक्ष्मी (धन और संपत्ति की देवी),
महासरस्वती (शिक्षा और विद्या की देवी), और
महाकाली, कुबेर (धन खजाने के देवता)
…में की की जाती है।

कैसे करें दीपावली पूजा ?

1. लक्ष्मी पूजा:

देवी लक्ष्मी भृगु की बेटी थी और जब सभी देवताओं को निर्वासित किया गया था तब इन्होंने दूध के समुद्र में जाकर आश्रय लिया था। समुद्र मंथन के समय लक्ष्मी जी का दुबारा जन्म हुआ। लक्ष्मी जी की सुंदरता को देखकर सभी देवता उन पर मोहित हो गये । भगवान शिव ने लक्ष्मी को अपनी पत्नी होने का दावा कर दिया लेकिन उन्होंने बाद में लक्ष्मी को भगवान विष्णु के हाथों में सौंप दिया जैसा कि श्री लक्ष्मीजी चाहती थी।

लक्ष्मी उजाला, सुंदरता, सौभाग्य और धन सम्पत्ति की दैवी हैं। लक्ष्मी जी की पूजा सफलता प्राप्त करने के लिए की जाती है। वे उन भक्तों के पास हमेशा नहीं रहती हैं जो आलसी है और धन संपत्ति के लिए जो उनकी पूजा करता है।

लक्ष्मी पूजा करने की विधि:

सबसे पहले जिस स्थान पर पूजा करना है वहां साफ सफाई कर नया कपड़ा बिछाएं।
इसके मध्य में थोड़ा सा अनाज रखें और इसके ऊपर कलश, लोटा स्थापित करें। कलश में तीन चौथाई पानी भरें और इसमें एक सुपारी, एक फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें। कलश में डालने के लिए के पांच तरह के पत्ते या आम के पत्ते का इंतजाम करें।
कलश के पास थोड़ा सा खाद्य पदार्थ रखें और इसको चावल से ढंक दें। अब हल्दी का इस्तेमाल करते हुए चावल के ऊपर कमल का चित्र बनाएं और इसके बाद देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को एक सिक्के के साथ इसके ऊपर स्थापित करें।
कलश के सामने दायीं ओर(दक्षिण-पश्चिम दिशा) भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करें। इसके साथ ही इस स्थान पर कलम और किताब को रखें और अपने कार्य के अनुसार जो कुछ भी रखना चाहते हों यहां रख सकते हैं।
पूजा आरंभ करने से पूर्व एक दीपक और अगरबत्ती जलाएं और उसके साथ ही कलश स्थल पर हल्दी, कुमकुम और कुछ फूलों को रख पूजा प्रारंभ करें।
पूजा की बर्तनों को शुद्ध करने के लिए इस पानी का इन बर्तनों पर छिड़काव करें।
पंचामृत बनाने के लिए पांच आवश्यक सामग्री का इस्तेमाल करें- जो इस प्रकार हैं- दूध, दही, घी, चीनी और शहद।
गणेश जी पूजा के साथ शुरूआत करें क्योंकि गणेश जी की पूजा के साथ ही सभी पूजा का आरंभ होता है। गणेश मंत्र और गणेश आरती के साथ पूजा की शुरूआत करें। गणेश जी की प्रतिमा पर फल, फूल और मिठाइयों को चढ़ाएं।
अब देवी लक्ष्मी की पूजा लक्ष्मी मंत्र के साथ करें। उनकी प्रतिमा पर फूलों को चढ़ाएं।
एक थाली में लक्ष्मी की प्रतिमा को रखें और इसे पंचामृत पानी से साफ करें और इस पानी से सोने से बने गहने को भी धोएं। प्रतिमा को अच्छी तरह पोछ लेने के बाद इसे कलश के समीप रख दें। इसके अलावा फूल को पानी और पंचामृत में डूबो कर प्रतिमा पर छिड़काव करे ।
देवी की प्रतिमा पर चंदन का मिश्रण, हल्दी, कुमकुम को चढ़ाएं। इसके साथ ही माला को देवी की प्रतिमा को पहनाएं। उसके बाद कुछ फूल और मिठाइयां, नारियल और फल को भी चढ़ाएं।
इसके बाद स्याही और किताब की पूजा करें। किताब के पहले पन्ने को खोलें और उस पर शुभ लाभ लिखें और इस पर घड़ी की सुई की समान दिशा में स्वास्तिक चिन्ह बनाएं।
इसके बाद अपने सारे सोने और चांदी के सिक्के को पानी, पंचामृत से धोएं।
अब देवताओं की प्रतिमा पर चावल और बताशा को चढ़ाएं।
और आखिर में देवी लक्ष्मी की आरती और वैश्विक आरती ओम जय जगदीश हरे पूजा आरंभ करें।
आरती समाप्त होने के बाद यहां मौजूद सारे भक्तों में प्रसाद का वितरण करें।
पूजा समाप्त होने के बाद अपने घर के चारों ओर दीपक (मिट्टी के दीये में सरसों का तेल भरकर) और दीपक न होने पर मोमबत्ती जलाएं। ध्यान रहे कि घर का एक भी कोना अंधेरे में नहीं रहे।
लक्ष्मी जी की आरती कर आप पूजा प्रारंभ करें। लेकिन इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि वे अधिक शोर शराबा से घृणा करती हैं। इसलिए आरती करते समय ज्यादा शोरशराबा ना करें और छोटी घंटी का इस्तेमाल करें। पूजन के समय शांत और उत्कृष्ट वातारण का प्रबल होना उचित होगा। पूजा करते वक्त या इसके तुरंत बाद पटाखे ना छोड़ें।

मां लक्ष्मी जी की आरती :

जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता।। जय.।।
ब्रह्माणी, रूद्राणी, कमला, तूही है जग माता।
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। जय.।।
दुर्गारूप निरंतारा, सुख-संपत्ति दाता।
जो को तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि पाता।। जय.।।
तूही पाताल निवासिनी, तूही शुभ दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशक, जगनिधि की त्राता।। जय.।।
जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता।
कर साके कोई कर ले, मन नहीं घबराता।। जय.।।
तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र ना कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे ही आता।। जय.।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम ही, कोई नहीं पाता।। जय.।।
आरती लक्ष्मी जी की, जो कोई नर गाता।
उर आनंद उमंग आती, पाप उतर जाता।। जय.।।

२. गणेश पूजा:

भगवान गणेश 33 करोड़ देवी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता हैं। इनकी उपासना करने से सभी विघ्नों का नाश होता है और सुख-समृद्धि, धन-बल और बुद्धि-ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसलिए दीपावली पूजन में भी सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। हिन्दू देव समूहों में इन दोनों देवताओं में कोई संबंध नहीं है, गणेश शिव और पार्वती के पुत्र हैं। तदापि लक्ष्मी और गणेश जी को साथ-साथ रखा जाता है।
गणेश पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को बायीं ओर स्थापित करें और भगवान गणेश की प्रतिमा को दायीं ओर रखें। लक्ष्मी धन और समृद्धि के साथ-साथ जीवित सुंदरता, दया और मनोहरता की दैवी हैं। उनका चित्रण प्राय: कमल पर सोने के सिक्कों के साथ विराजमान होता है। भगवान गणेश सब प्रकार की सिद्धी प्रदान करने वाले, विवेक देने वाले और सब विघ्नों का नाश करने वाले देवता हैं।

ऐसे करें गणेश पूजा:

दीपावली के अवसर पर श्री लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है। इन दोनों देवताओं की प्रतिमा को एक साफ सुथरे स्थान पर रखा जाता है। इसके साथ इन प्रतिमाओं पर चंदन मिश्रण, केसरिया मिश्रण, इत्र, हल्दी, कुमकुम, अबीर, गुलाल, फूलों की माला खासकर गेंदे के फूलों की माला और बेल पत्र को चढ़ाया जाता है। सुगंधित अगरबत्ती और धूप जलाये जाते है और मिठाइयां, नारियल, फल और तांबूल भी इन पर चढ़ाए जाते हैं। और पूजा के अंत में भक्त भगवान गणेश की आरती गाते हैं।

श्री गणेश जी की आरती:

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
एक दंत दयावन्त, चार भुजाधारी।
माथे सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लडुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
अंधे को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
दीनन की लाज राखो शम्भू सुत वारी।
कामन को पूरा करो जग बलिहारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

श्री जगदीश्वर जी की आरती:

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे।। ओम जय जगदीश हरे।।
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिन से मन का।
सुख-संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।। ओम जय जगदीश हरे।।
माता-पिता तुम मेरे, शरण पदुम मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी।। ओम जय जगदीश हरे।।
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी।। ओम जय जगदीश हरे।।
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल-कामी, कृपा करो भर्ता।। ओम जय जगदीश हरे।।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति।। ओम जय जगदीश हरे।।
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे।।
अपना हस्त उठाओ, द्वार खड़ा मैं तेरे।। ओम जय जगदीश हरे।।
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा।। ओम जय जगदीश हरे।।
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लगे मेरा।। ओम जय जगदीश हरे।।
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे।। ओम जय जगदीश हरे।।


दीपावली का यह प्यारा त्यौहार,
जीवन में लाये खुशियाँ हज़ार,
लक्ष्मी विराजे आपके द्वार,
शुभ कामना हमारी करो स्वीकार...


1 Comments:

Anonymous said...

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