रह रह के रात बुलाती अपने आगोश में
पर नींद आँखों से दूर ही रहती है
बिस्तर की सिलवटें भी चुभती हैं जुदाई में
और रूह भी तार तार होने लगती है
तुझ से दूर रहकर में जियूं तो कैसे
जाँ भी जिस्म से रूठने लगी है
हर बार तेरे वादे पे ऐतबार करता हूँ
हर बार रूह छलनी होने लगती है
तेरे न आने की कसम भी टूटती नहीं
सहर भी होती नहीं, रात भी कटती नहीं
इक अज़ब सी सिहरन फिजाओं में फैलने लगती है
जब मेरी धडकनें भी बेज़ुबां होने लगती हैं।
पेट में कीड़े होने के हैं यह लक्षण, जान लीजिये
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यह समस्या खासकर छोटे बच्चों में होती है। कई बार व्यस्कों को भी इसकी शिकायत
रहती है। हम आज की इस पोस्ट में जानेंगे कि पेट में कीड़े होने के क्या क्या
लक्षण...
6 years ago
3 Comments:
विजय जी...एक प्रभावी अभिव्यक्ति रचना बहुत बढ़िया लगी..बधाई...
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ..
सादर वन्दे
सुन्दर रचना
रत्नेश त्रिपाठी
बहुत उम्दा रचना!!
मुझसे किसी ने पूछा
तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
तुम्हें क्या मिलता है..
मैंने हंस कर कहा:
देना लेना तो व्यापार है..
जो देकर कुछ न मांगे
वो ही तो प्यार हैं.
नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
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