सुलगती याद
दहकता ख्याल
तपता बदन
तेरे प्यार ने मुझको
क्या क्या दे दिया
भीगी आँखें
भर्राया गला
लरजते होंठ
तेरी जुदाई ने मुझको
तेरा बीमार बना दिया
सूनी निगाहें
खामोश सदाएं
उदास फिजाएं
तेरे वादे ने मुझको
दीवाना बना दिया
बेकाबू धडकनें
बहकते कदम
लडखडाती जुबां
तेरे अफ़साने ने मुझको
आवारा बना दिया
बदहवास हवाएं
उमड़ती घटाएं
ठिठुरता सूरज
तेरे इंतज़ार ने मुझको
पत्थर बना दिया।

2 Comments:

दिगम्बर नासवा said...

क्या से क्या हो गया तेरे प्यार में ............
गीत की याद करा दी आपने ........ बहुत अच्छा लिखा ........

Archana Gangwar said...

ठिठुरता सूरज
तेरे इंतज़ार ने मुझको
पत्थर बना दिया।

wah ........bahut khoob...
ek alag terah ke ahesaas ko salike se darshaya hai.....