उसकी याद में तड़पता रहता हूँ हर पल,
उससे कहो मेरे दिल से अपना नाम मिटा जाए।
अरसा हुआ है चाँद को देखे हुए,
उससे कहो अपना चेहरा दिखा जाए।
उससे कहो एक बार भूल कर आ जाए,
जो बीती है उस पर वो सुना जाए।
हंस हंस के गम छुपाने का हुनर,
उससे कहो हमको भी सिखा जाए।
4 Comments:
वाह ! बहुत खूब ..... बेहतरीन शब्दों और अभिव्यक्ति के साथ बहुत सुंदर कविता....
दिलचस्प अंदाज में ’आरजू ’ पेश की गई है
हंस हंस के गम छुपाने का हुनर,
उससे कहो हमको भी सिखा जाए ...
क्या बात कही है .......... लाजवाब कहा ........
हंस हंस के गम छुपाने का हुनर..
...सच जीने की कला यही है...
उससे कहो हमको भी सिखा जाए।
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