सकून मिला मुझे आकर तेरी बाहो मे
मंज़िल मुझे मिली आकर तेरी राहो मे
मै तन्हा था ज़िन्दगी के काफिले मे
मुझे पुकारा है आज तुम्हारी सदाओ ने
देखा मैने जब तुमको, बस देखता ही रह गया
पानी पे जैसे चाँद हो ठहरा!
आंखो का काज़ल रात बन बह गया!
डूब गये हम के उभर नही पाये
तेरी झील सी गहरी निगाहो मे!
पता नही था इस कद्र हम भी कही खो जायेंगे
ज़रा ज़रा कतरा कतरा इस इश्क मे बहते जायेंगे!
क्या खो देंग़े और क्या पायेंगे!
प्यार क्या है जाना हमने
आकर तेरी बाहों में!
अगर आप मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी के दर्द से हैं परेशान, तो जानें कैसे
मिलेगा आराम
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मौजूदा भागमभाग वाली जिंदगी में पता नहीं कब शरीर के किसी भाग का दर्द हमारी
दिनचर्या का हिस्सा बन जाता है, इसका हमें पता भी नहीं चलता। सुबह उठने के बाद
अक्सर...
5 years ago
8 Comments:
देखा मैने जब तुमको, बस देखता ही रह गया
पानी पे जैसे चाँद हो ठहरा
VAAH...... KITNI KHOOBSOORTI SE NIKHARA HAI PREM KI CHAAHAT KO...MAHBOOB KO DEKHAA TO LAJAWAAB NAZAR SE ....
बेहतरीन रचना
अनुभूति सघन
bahut hi pyari rachna .
bahut hi suhana laga aake apake blog par kyoki bahut hi sundar hai aake teri baaho me
bahut suner badhai
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं बधाई।
फिर फिर ... फिर तारीफ़ करूँ ...से अच्छा है वर्मान को लपेटें कि -
"स्वाइन फ्लू का डर लग रहा है,
आकर तेरी बाहों में!
[क्षमा सहित]
० राकेश 'सोऽहं'
bahut hi sundar badhaai........
www.lekhnee.blogspot.com
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