तुमसे होकर इस कदर रूबरू निकले।
आज तेरे दर से बड़े बे-अबरू निकले।
पानी मे चाँद नज़र आया रात इतना करीब।
जब छूना चाहा, तब बहुत दूर निकले।
जिसने कत्ल कर दिया हमारी हर आरज़ू का।
वही हमारे बयान पर बेक़सूर निकले।
हमने तो लिख दिया अपना हाल-ए-दिल।
उम्मीद है तुमसे, कोई दुआ जरूर निकले।
5 Comments:
बहुत ख़ूब!
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ना लाओ ज़माने को तेरे-मेरे बीच
बहुत ही प्यारा एहसास है जिसमे ख्वाहिश बहुत ही खुब्सूरत है .........
पानी मे चाँद नज़र आया रात इतना करीब।
जब छूना चाहा तो बहुत दूर निकले
लाजवाब अभिव्यक्ति है सुन्दर रचना के लिये बधाई
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
वाह .. बहुत khoob likkha है ........... khoobsoorat ehsaas
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