पा के जिसे पा लिया दुनिया मैंने
पर क्यूं ये सवाल उठा है ?
क्या धडकनों में आज भी मै हूँ
या दिल किसी और के नाम कर दिया।

एक सवाल ने मुझे हैरान कर दिया
एक सवाल ने मुझे ख्वाब से जगा दिया
क्या तनहा ही बेहतर थी ज़िन्दगी मेरी?
जाने किस उलझन में मुझे डाल दिया।

वो शख्स जो मिला था राह में
वो अक्श था आईने में मेरा
पा के अनजान रुसवाई से मुझको
हकीकत से मुझे मिलवा
दिया।

8 Comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर रचना है बधाई।

निर्मला कपिला said...

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई

निर्मला कपिला said...

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई

ओम आर्य said...

मन को कई कोनो से छू गया कभी बहुत इंतजार के बाद अचानक किसी मोडपर किसी का मिलना इतना ही सुखद होता है ......बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

हरकीरत ' हीर' said...

वाह बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ......!!

दुनिया शब्द स्त्रीलिंग होता है इसलिए पा के जिसे पा ली दुनिया मैंने होगा....!!

गर्दूं-गाफिल said...

क्या तनहा ही बेहतर थी ज़िन्दगी मेरी?
जाने किस उलझन में मुझे डाल दिया।


दुनिया का दस्तूर लिखा है
उलझन का नासूर लिखा है
हर रांझे ने हीर को अपनी
जन्नत की ही हूर लिखा है
हमने दिल का हाल सुनाया
जग ने इसे gurur लिखा है
मौज में बहका मेरा पांव
खबर में इसे सुरूर लिखा है
नहीं करी कोई कोताही
गर्दूं ने भरपूर लिखा है
कैसे कैसे जाम पिलाये
पर साकी को दूर लिखा है


लिखते रहिये दर्द रवि का
हमने कलाम मंज़ूर कहा है

सुन्दर अभिव्यक्ति है बधाई

श्रीकांत पाराशर said...

sundar rachna hai.agar theek samjhen to pahali line is tarah karlen- paa kar jise paa li dunia mainen....

दिगम्बर नासवा said...

क्या तनहा ही बेहतर थी ज़िन्दगी मेरी?
जाने किस उलझन में मुझे डाल दिया।

tanhai mein jeene se behtar hai kisi kaa naam le kar jee lenaa ...... ravi ji kai dino baad blog par aya..... aapki shandaar rachna se mil kar sukoon aa gaya ......