ऑंखें तो प्यार में दिलकी जुबान होती है..
सची चाहत तो सदा बेजुबान होती है..
प्यार मई दर्द भी मिले तो क्या घबराना..
सुना है दर्द से चाहत और जवान होती है..

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मुद्दत हो गई उन तान्हायिओं को गुज़रे,
फ़िर अब भी इन आँखों में वो खामोशी क्यूं है
तोड़ दिया यकीन मोहब्बत से जिसने मेरा
वो शख्श अब भी प्यार के काबिल क्यूं है…

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फ़िर करने लगा हिसाब ज़िन्दगी का
ये भी एक जरिया है तुम्हे याद करने का
यादों की ख़ाक में ढूंढ रहा था एक हँसी
आँख से भी जो टपका तो एक कतरा दर्द का।

6 Comments:

ओम आर्य said...

मुद्दत हो गई उन तान्हायिओं को गुज़रे,
फ़िर अब भी इन आँखों में वो खामोशी क्यूं है
तोड़ दिया यकीन मोहब्बत से जिसने मेरा
वो शख्श अब भी प्यार के काबिल क्यूं है…
bahut bahut bahut khub .......kyaa baat hai .....shabd nahi mil rahe .....badhaaee

अशरफुल निशा said...

Dil ko chhu gayee aapki rachnaayen.
Think Scientific Act Scientific

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मुद्दत हो गई उन तान्हायिओं को गुज़रे,
फ़िर अब भी इन आँखों में वो खामोशी क्यूं है
तोड़ दिया यकीन मोहब्बत से जिसने मेरा
वो शख्श अब भी प्यार के काबिल क्यूं है…

bahut khoob.....aapki patrika bahut khoobsurat hai...badhai

निर्मला कपिला said...

प्यार मई दर्द भी मिले तो क्या घबराना..
सुना है दर्द से चाहत और जवान होती है..
लाजवाब बहुत सुन्दर रचना है बधाई

निर्मला कपिला said...

प्यार मई दर्द भी मिले तो क्या घबराना..
सुना है दर्द से चाहत और जवान होती है..
लाजवाब बहुत सुन्दर रचना है बधाई

दिगम्बर नासवा said...

फ़िर करने लगा हिसाब ज़िन्दगी का
ये भी एक जरिया है तुम्हे याद करने का....

JINDAGI JEENE KE TARIKE MEIN YE BHI SHAAMIL HO GAYA ..... LAJAWAAB LIKHA HAI .... RAVI JI ... KAMAAL HAI, AAPKA JAWAAB NAHI