एक रात
अनमनी सी
मचलती रही
जुल्फों की छाँव में

कहने को
क्या हुआ,
तन-मन को
जब छुआ !

एक बात
अजनबी से
हवा हो गई
पनघट की ठांव में !
० राकेश 'सोहम'

5 Comments:

Mithilesh dubey said...

सुन्दर रचना। बधाई

ओम आर्य said...

behad khubsoorat rachana....likhate rahe

दिगम्बर नासवा said...

lajawaab ......... bahoot hi sundar likha hai

"अर्श" said...

बहोत ही खुबसूरत भाव का सामंजस्य है बहुत बहुत बधाई साहिब...


अर्श

श्यामल सुमन said...

सुन्दर एहसास की पंक्तियाँ। वाह।

ऐसे सुन्दर पल मिलेंगे
जाकर अपने गाँव में

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com