अब यह बात जग ज़ाहिर हो चुका हैं कि आतंकवाद और आतंकवादियों का सिवाय आतंक और दहशत फैलाने के अलावा और कोई धर्म नही होता। उन्हें किसी के विकास और समृद्धि से कोई लेना-देना नही है। आख़िर यह बात लोगों के समझ में कब आएगी? आतंकवाद को परास्त करने के लिए केवल भारत को ही नहीं बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कदम उठाने होंगे.
मुंबई में हुए हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान में मौजूद तत्वों को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया था और माँग की थी जिन लोगों को भारत ज़िम्मेदार मानता है, उन्हें भारत को सौंपा जाए. नवंबर माह में हुए मुंबई हमलों में 170 से ज़्यादा लोग मारे गए थे और लगभग 300 घायल हो गए थे. इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है. वैसे तो भारत ही नही पूरा विश्व आतंकवाद से जूझ रहा है, लेकिन चूँकि भारत सदा से शान्ति का पुजारी रहा है, और वो आगे भी विश्व समुदाय को शान्ति और अहिंसा का मार्ग दिखाता रहेगा। कुछ लोग इसे भारत की कमजोरी समझते हैं। पर हमारी सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए की विश्व समुदाय इसे भारत को अपनी कमजोरी के रूप न देखे। नही तो देश की स्थिति दिनों-दिन और भी बदतर होती जायेगी और आम जनता में भय और दहशत का माहौल व्याप्त हो जाएगा। लेकिन ऐसा लगता हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों की इच्छा शक्ति मे ही कुछ कमी है।
यदि किसी देश की संस्था नीति के तहत आतंकवाद को बढ़ावा देती है या फिर ऐसा देश अपनी अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारी और प्रतिबद्धता को स्वीकार नहीं करता तो समस्या पेचीदा हो जाती है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह ऐसे देशों की पहचान करे और विभिन्न प्रयासों से उन पर अंकुश लगाए.
1 Comments:
bahut sahi kaha aapne...
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